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काव्यगोष्ठी सम्पन्न

पाटीदार कोचिंग संस्थान सुदामा नगर सेठी गेट काव्यपाठ आयोजन में कवि/शायरो ने ताजातरीन रचनाएं प्रस्तुत कर सावन के महीने को और भी सुहाना बना दिया। गिरते पानी के बीच कविगण काव्यपाठ में सम्मिलित हुये। जितेंद्र राज, प्रेम सागर, संजय जैन बैजार, धर्मेंद्र अम्बर, दिनेशचन्द्र शर्मा आदि प्रसिद्ध रचनाकारों ने रचनापाठ किया।

राहुल मिश्रा की इन पंक्तियों ने पर्यावरण में कम होते पेड़-पौधों के प्रति चिंता व्यक्त की- 
शजर ने शजर से मुस्का के बोला
हुआ क्या है जो जग में कटने लगे हैं
कभी लोग जुट ते मेरी छाव मे जो
हुआ क्या है जो लोग बटने लगे हैं

बृजमोहन शर्मा बृज ने रचनापाठ किया-
मैं अपनी हदों से पार हो गया हूं
ए जिंदग तेरा गुनहगार हो गया हूं
मैंने अपने उसूलों को तोड़ा है जबसे
सचमुच जमीं पर मैं भार हो गया हूं
खल्क की खिदमत करना थी लेकिन
मैं स्वार्थ के हाथों गिरफ्तार हो गया हूं
हकीक़त को भुला कर मैं आजकल
ख़्वाबों के घोड़े पे सवार हो गया हूं।

अनूपसहर ने पुर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद की स्मृति दिवस पर सुनाया-
सदियां ना भूलेंगी जिसे इस मादरे वतन के सपूत को
वो इक नाम है सिर्फ डा,अब्दुल कलाम है
गीता कुरान दोनों की पहचान से रहें
ऐसे फ़रिश्ते को दो जहां का सलाम है

कवि विनोद कुमार सोनगीर ने कविता पढ़ी-
शोर नाकामयाबियों का होता है
सफ़लता दबे पांव ही दस्तक देती है
उंगली उठाने वाले छिप के बैठ जाते है
जब कामयाबियों की लहर आती है।

महेंद्र जैन “सागर” ने पढ़ा-
गफलत मैं क्यो बैठे हो तुम
क्या तुमको आभास नही
क्या समझूँ इस जीवन से
क्या तुमसे कोई आस नही।

सुनील रघुवंशी “सिपाही” ने मनमोहन गीत पढ़ा-
मन मेरा आज मुरली हुआ
श्याम से कब मुलाकात हो
स्वप्न में जो वो आये कभी
दिल ये कहता है कब रात हो।

जितेंद्र शिवहरे ने गीत सुनाया-
बहुत खुबसूरत हो तुम
दिल की लगी को बुझाऊं तो कैसे
तेरे दिल में आके जाऊं तो कैसे
कि मेरी विरासत हो
तुमबहुत खुबसूरत हो।

मंच की अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार बालकराम जी शाद ने की। मुख्य अतिथि हरिश साथी और विशेष अतिथि विष्णुप्रसाद शुक्ला कलश थे। काव्यपाठ आयोजन संचालन कवि जयनारायण पाटीदार कुंवर ने किया। आभार जितेंद्र राज ने माना।

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