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कविता कवि की साधना है,

पं. प्रशान्त कुमार “पी.के.”
हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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कविता कवि की साधना है,
वीणापाणी की वन्दना है।।

कविता ही कवि की आशा है,
कविता कवि की परिभाषा है।

कविता है कवि की बोलचाल,
कविता है निज कवि की ढाल।

कविता है कवि के मन की पीड़ा,
कविता सच बोलने का है बीड़ा।

कविता वेदना कवि के मन की,
संवेदना है कवि के निज मन की।

कविता माध्यम है भावों का,
पल पल हर पल संभावों की।।

कविता प्रेरणा कल्पना है,
निर्माण की हर परिकल्पना है।।

कविता विश्वास है कवियों का,
कविता आभास है कवियों का।।

कविता है परिश्रम कवियों का,
कविता परिणाम है कवियों का।।

कविता में कवियों का भाव सार।
कवि के इसमें हैं सद्विचार।।

कविता है जन्मी सर्वप्रथम,
कविता सच कह दे ले न दम।

कविता को सहारा कवि ने दिया,
कविता ने कवि को है दिया।।

कविता ही कवि की पूजा है,
साथी न शिवा कोई दूजा है।

कविता कवि के हैं अश्रुपात,
कविता कवि का है ह्रदयाघात।।

कविता अपनों की बिछड़न है,
कविता कवि ह्रदय की तड़पन है।

कविता है कहानी बचपन की,
कविता है निशानी बचपन की।।

कविता हर जीत का जश्न भी है,
कविता निज जीत का यत्न भी है।

कविता ही कवि का तन मन है,
कविता ही कवि का जीवन है।।

कविता संदेश सुनाती है,
कविता परिवेश सुनाती है।।

कविता तुलसी, मीरा का प्यार।
रांझे और हीर के बाहों का हार।।

कविता है जवानी वीरों की,
है शौर्य कहानी वीरों की।।

कविता बसंत की है बयार,
कविता वर्षा के जल की धार।।

कविता इतिहास है कल युग का,
कविता प्रयास है कल युग का।।

कविता है माता की लोरी,
पालना है रेशम की डोरी।।

कविता है पिता का स्वप्न सोच,
कविता है पिता के मन का बोझ।

कविता है बहन का रक्षा सूत्र,
कविता भाई का सफलता सूत्र।

कविता में हर खुशी और गम है,
कविता भावों का संगम है।।

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परिचय :- पं. प्रशान्त कुमार “पी.के.”
पिता – पं. श्री रामप्रताप शर्मा
माता – श्रीमती रानी
जन्मतिथि – ०५ अक्टूबर १९९४
शिक्षा – स्नातक शिक्षाशास्त्र, औद्योगिक प्रशिक्षण (एन.सी.वी.टी.)
कार्यरत – स्काउट मास्टर, अंग्रेजी अध्यापक बाबू खां जनता डिग्री कॉलेज (निजी रूप से)
साहित्यिक नाम – “पी.के”
रस – हास्य व्यंग्य
विधा – कविता, छंद, दोहा, गीत
सम्मान – “साहित्यवीर” अलंकृत
साहित्यिक गतिविधियां – वर्ष २००८ से आशुकवि के रूप रचनालेखन, व कई स्वतंत्र कई मंचों पर काव्यपाठ
निवासी – पाली, जनपद – हरदोई (उत्तर प्रदेश)


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