Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कविता सुगंध

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

********************

सुगंध है व्याप्त वायु में
रोम रोम को पुलकित करता
तन मन को बेसुद्ध करता
सरस सांस में है समाहित
यह नव बसंत उत्सव जैसा
खिल चुके हैं पुष्प वृंद सब
आम्रकुंज में आती मंजर
लता कुंज में नव पल्लव
झूम रही गेहूं की बाली
सरसों खिलीं कुम-कुम जैसा
सुगंध है व्याप्त वायु में
रोम-रोम को पुलकित करता
फुदक रही है गौरैया भी
गुटूर गुं की प्रणय गीत भी
गा रही है वय कबूतरी।
फैली धरा पर अनुपम आभा
भंवरे समूह में गुंजन करते
पुष्प सभी है शर्माती
चुम रहे हैं ओष्ठ पुष्प का
हो हो कर सब मतवाले
डोल रहे हैं पुष्प डाल सब
चुबंन से है थर्राते

.

परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *