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साहित्य की प्रतिज्ञा

श्रवण कुमार सायक
ग्राम दूबकला, (श्रावस्ती उ.प्र.)

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सत्ता का गुणगान करें हम
साहित्य को ग़ुलाम करें हम
ऐसा हरगिज हो नहीं सकता
ऐसा सायक लिख नहीं सकता

स्याही पर आग लगा दूंगा
तुझमें में मैं क्रांति जगा दूंगा

शब्द शब्द अंगार लिखूंगा
वीरों का श्रृंगार लिखूंगा
माता का वह त्याग लिखूंगा
आज सपूतों जाग लिखूंगा

सिंहासन पद भ्रष्ट हो गए
न्याय देवता सटट् हो गए

राजा का शीश झुका दूंगा
साहित्य को अमर बना दूंगा
साहित्य राह दिखलाता है
राजा को पुनः जगाता है

सब ओर क्रांति छा जाएगी
यह कलम वही सुस्तायेगी

परिचय :-  श्रवण कुमार सायक
शिक्षा : एम.ए., बी.एड.
निवासी : ग्राम दूबकला जनपद- श्रावस्ती उ.प्र.
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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