डॉ. बी.के. दीक्षित
इंदौर (म.प्र.)
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पितृदोष मिट गया शहर का, प्रण लेकर पूर्ण किया मन से।
बरसों तक की गुप्त साधना, महानायक हो तुम जनजन के।
अन्न ग्रहण न किया आपने मन की अभिलाषा पूर्ण हुई।
हो विकास चहुं ओर शहर का, जो भी बाधा हो दूर हुई।
शहर भोज ऐसा भारत में, न दिया न शायद दे पाये।
हों अनुज सरीखे मेंदोला, तोकार्य अपूर्णन रह पाये।
इंदौर शहर की शान बढ़ी, थी घोर तपस्या पावन भी।
छटा मनोहारी हरियाली, लगती हमको तो सावन की।
हो प्रदेश के सर्व मान्य, ये देश आपको जान गया।
बंगाल जगाकर थके नहीं, केंद्र आपको मान गया।
पुण्य आपके कर्म आपके, सब भलीभूत होने वाले।
कर्तव्य पथों पर डटे रहो, अधिकार शीघ्र मिलने वाले।
हो श्रेष्ठ सियासत के योद्धा, नीति निपुण राजनेता।
महाभारत के अर्जुन जैसे, भारत माँ के सच्चे बेटा।
रंग भगवा से हो रंगे आप भगवान राम की कृपा रहे।
हनुमान ह्रदय में बसे रहें, वाणी में ओज प्रवाह रहे।
पितरेश्वर तीरथ बना दिया, संतों की जय जय कार हुई।
जन चौदह लाख प्रसादी पाये, भक्तों की भरमार हुई।
दे रहा बधाई शहर समूचा, है कीर्ति पताका लहराई।
नेता मात्र नहीं हम सब के, हो आप हमारे प्रिय भाई
परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण की व् आप गत ३६ वर्ष से इंदौर में निवास कर रहे हैं आप मंचीय कवि, लेखक, अधिमान्य पत्रकार और संभावना क्लब के अध्यक्ष हैं, महाप्रबंधक मार्केटिंग सोमैया ग्रुप एवं अवध समाज साहित्यक संगठन के उपाध्यक्ष भी हैं।
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