Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

गुल्लक

अर्चना मंडलोई
इंदौर म.प्र.

********************

माँ आशा आंटी का फोन है… बेटा मुझे फोन देते हुए बोला… मैने पोछा बाल्टी में फेकते हुए दुपट्टे से हाथ पोछे और बेटे के हाथ से फोन झपट लिया।
कैसी हो दीदी उधर से आवाज आई ! .ठीक है हम सब तू कैसी है? और तेरे परिवार के लोग…..मैं एक सी सांस मे कह गई?

नहीं दीदी…वह रूकती हुई बोली – पर आपको सब काम हाथ से ही करना पड रहा है ना? और आपके पैरो का दर्द कैसा है? उधर से बुझी सी आवाज आई।
हम लोग मिलजुल कर मैनेज कर रहे है। बच्चें भी काम मे हाथ बँटा रहे है…. वो सब तो ठीक है पर तू बता तुम लोग गाँव तो नहीं गए ना? और तेरे पति क्या अभी भी सब्जी बेचने जाते है? मै उसकी खैरियत पूछने के लिए एक सांस मे सब कह गई।

वो दीदी मालिक मकान किराया मांगने लगा था। और फिर हमारे घर में खाने का सामान भी इन आठ दिनों मे खतम होने लगा था। आटा दाल का इंतजाम तो करना ही था सो जान जोखम मे डाल हम लोग घर से निकल पडे थे।
ओह… फिर …मै कुछ कहती
उससे पहले ही वो बोली……..दीदी वो सरकारी लोगो ने चौकी पर ही रोक लिया और हमारे रहने खाने का इंतजाम उन लोगो ने ही कर दिया।अब हम यही है।

ठीक है ठीक है… मै आश्वस्त होकर बोली – तुम लोग किस जगह रूके हो वहाँ का मुझे पता बता मै स्वयं सेवको द्वारा इस माह की पगार और कुछ जरूरी सामान, दवाइयां भेज दूँगी। बस तुम जहाँ हो वही रहो। ये तुम्हारे और हजारो लोगो के जीवन का सवाल है।
जी दीदी हम समझ गए है। हम पूरी एहतियात रख रहे है और दूसरे लोगो को भी सुरक्षित रहने के लिए कह रहे है।
पर दीदी मै काम पर तो आई नही…वो डरती हुई बोली।
हाँ तो क्या हुआ! मै उसे आश्वस्त करते हुए बोली …. ये तुम्हारा अधिकार है और संकट की घडी में देश सेवा… वो फोन रख चुकी थी।
मैने बेटे को फोन देने के लिए हाथ बढाया ही था कि देखा – बेटा हाथ मे गुल्लक लिए खडा था। वो फोन पर बाते सुन चुका था।
मंमा ये ये गुल्लक के रूपये भी किसी जरूरत मंद के लिए भेज देना वो खुश होकर बोला।
मैं देख रही थी जाने – अनजाने बेटे के मन मे परस्पर सेवा और सहयोग के भाव आ गए थे।
क्या ये अनुभव उसे किसी कोचिंग मे मिल पाते…??
पर हाँ लाँकडाउन का पाँजिटिव इफेक्ट्स इंसानियत सीखा रहा है।

.

परिचय : इंदौर निवासी अर्चना मंडलोई शिक्षिका हैं आप एम.ए. हिन्दी साहित्य एवं आप एम.फिल. पी.एच.डी रजीस्टर्ड हैं, आपने विभिन्न विधाओं में लेखन, सामाजिक पत्रिका का संपादन व मालवी नाट्य मंचन किया है, आप अनेक सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं में सदस्य हैं व सामाजिक गतिविधियों मे संलग्न।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *