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कलमकार की ख्वाहिश

बिपिन कुमार चौधरी
कटिहार, (बिहार)

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कलमकार की ख्वाहिश
नहीं आह की कोई चिंता,
नहीं वाह की है ख्वाहिश,
निष्पाप मां करूं तेरी साधना,
मेरे मस्तिष्क को रखना पवित्र…

विवेक रखना मेरा शुद्ध,
साहस से करना नहीं वंचित,
मानवीय पीड़ाओं का मैं,
वर्णन कर सकूं बेबाक सचित्र…

शब्द मेरे हो इतने अनमोल,
छलियों को करे अचंभित,
वेदनाओं का करूं ऐसा वर्णन,
पल में पत्थर हो जाये द्रवित,

माया की तराजू तोले नहीं,
बदले कभी नहीं मेरा चरित्र,
कलम बंधन में बंधे सके,
मुझे बनाना नहीं इतना दरिद्र,

निश्चिंत रहूं मैं इतना,
निर्बल का कर सकूं जिक्र,
हक की लड़ाई का हो मामला,
किसी तीस मार खां का ना करूं फिक्र,

मजबूर कर सके कोई नहीं,
लालसाएं हो इतना सीमित,
गलतियां ख़ुद की स्वीकार करूं,
मेरे दिल को रखना पवित्र…

कपटियों का भय कम नहीं हो,
विचारधारा हो नहीं मेरा दूषित,
मेहरबानी तेरी मुझपर इतनी रहे,
नई रचना तेरे चरणों में करता रहूं अर्पित….

परिचय :- बिपिन बिपिन कुमार चौधरी (शिक्षक)
निवासी : कटिहार, बिहार
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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