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कोहरे से झांकता हुआ

लक्ष्मीकांत मुकुल
रोहतास (बिहार)

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कोहरे से झांकता हुआ आया
मांगी थी रोशनी ये क्या आया

सूर्य रथ पर सवार था कोई
उसके आते ही जलजला आया

घोंसले पंछियों के फिर उजड़े
फिर कहीं से बहेलिया आया

दूर अब भी बहार आँखों से
दरमियाँ बस ये फ़ासला आया

काकी की रेत में भूली बटुली
मेघ गरजा तो जल बहा आया

जो गया था उधर उम्मीदों से
उसका चेहरा बुझा बुझा आया

बागों में शोख तितलियां भी थीं
पर नहीं फूल का पता आया

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लेखक परिचय :- लक्ष्मीकांत मुकुल
जन्म – ०८ जनवरी १९७३
निवासी – रोहतास (बिहार)
शिक्षा – विधि स्नातक
संप्रति – स्वतंत्र लेखन / सामाजिक कार्य। किसान कवि/मौन प्रतिरोध का कवि। कवितायें एवं आलेख विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित, पुष्पांजलि प्रकाशन, दिल्ली से कविता संकलन “लाल चोंच वाले पंछी’’ प्रकाशित


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