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आँसुओं के मोती

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
बागबाहरा (छत्तीसगढ़)

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सोनू! तुमने जो प्यार दिया मेरे इस दिल को
वो प्यार कहीं ना अब तलक मुझे मिला
जिंदगी का कोई अर्थ नही था अब तक
तेरे प्यार ने मुझे नई जिंदगी का अर्थ दे दिया
मेरी सोनू! तूने जब से थामा है मेरा हाथ
मेरा हर लम्हा-लम्हा सुलझा-सुलझा रहता है
बेअदबी इल्जाम लगाया दुनिया ने मुझ पे
तुम्हारे प्यार पाकर रिहा हुआ इल्जामों से
अब तो तेरे प्यार पे ही भरोसा है मुझको
बिना सोचे समझे एतबार किया है मुझे
मैंने आँसुओं से मोती की माला पिरोया
मैंने अपने गले का तुझको हार बनाया है
तेरे खूबसूरती के सागर में जब से खोया
फिर खुद को खुद से कभी मिल नही पाया
किस्मत भी खफा हो तो कोई गम नहीं
अपने प्यार से कभी भी कोई शिकवा नहीं
पर सोनू तेरा हर इल्जाम का गंवारा है मुझे
फिर भी मैं तूझसे ही प्यार करता रहूंगा
जब-जब भी मैंने आईना को देखता हूँ
आईने में सिर्फ तेरी ही तस्वीर नजर आती
तेरी उन खूबसूरत तस्वीर देख देख कर ही
मैं अपने आप को रोज संवारा करता हूँ
मैं तेरी यादों की गलियों से हर पल गुजरता हुँ
तुम मेरी इबादत की खूबसूरत दुआ जैसी हो
सोनू जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हुई हो
मुझे जिंदगी से अब कोई शिकायत नही है…!

परिचय :-  राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
निवासी : बागबाहरा (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बागबाहरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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