धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
********************
उन बेटियों को समर्पित, जो दरिदों की दरिंदगी का शिकार हो असमय कालकवलित हुई।
धिक्कार है मुझ पर
धिक्कार है मेरे होने पर
शर्मसार हूँ मैं,
पुरुष होने पर।
वहशी, दरिंदा, नरपिशाच
दो क्षण में हो जाता हूँ,
भाई, बेटा, पिता
नही हो पाता
तुझे विपत्ति में होने पर।
तेरे आंखों में भय पढ़ नही पाता
तेरा क्रंदन मैं सुन नही पाता,
ज्ञानी, बलवान होने का
मात्र दंभ भरता हूँ,
और चलता हूँ
मुझे क्या पड़ी है कि तर्ज़ पर।
तुझे आत्मा कांप जाए
ऐसा दर्द दिया जाता है,
विभत्स तरीके से मार कर
जला दिया जाता है,
मैं, हाथ मे मोमबत्ती थामे
नज़रे टिका देता हूँ,
धृतराष्ट्र सा,
टिमटिमाती रोशनी पर।
मुझे तेरी चिता की आग
न दिखाई देती है,
न उसकी आंच महसूस
होती है,
मैं निर्रथक पुंसत्व ओढ़े हुए हूँ
पुरुष के वेश में शिखंडी हूँ,
और जीवित हूँ
तो सिर्फ तेरी क्षमा पर।
तेरी चिता की राख
क्यो स्वीकारेगी
कृष्णा, कावेरी, गंगा
तेरी देह के टपकते रक्त से
है मेरा भी हाथ जो रंगा।
हो सके तो क्षमा कर
मेरे पौरुष को,
युगों से खड़ा हूँ,
जिसकी सीमा पर।
.
परिचय :-
नाम : धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…