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अदायें

अवधेश कुमार ‘कोमल’
जमोलिया, बाराबंकी (उ.प्र.)

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तेरे दर्शन के प्यासे नैना,
तेरे बिन मिले ना चैना
तेरी सूरत इतनी भोली
मदहोश हो जाए टोली
तेरी ये ऑख मिचोली
बन्द कर देती मेरी बोली
मुश्किल कर देती मेरा जीना
तेरे बिन मिले नाही चैना
तू है बड़ी सुहानी लगती
मेरे लिए खुद को सवांरती
मिलने पर तुम बहुत नखरती
तू दिन-रात हमें निहारती
दिल घायल करते तेरे दो नैना
तेरे बिन मिले ना चैना
मिलकर यूँ तेरा शरमाना
शरमा के यूं नयन झुकाना
फिर नयनों से तीर चलाना
अधरो से फिर जाम पिलाना
अब तेरे बिन सूने दिन-रैना
तेरे बिन मिले ना चैना

 

परिचय : अवधेश कुमार ‘कोमल’
पिता : शिव बालक यादव
निवासी : जमोलिया, बाराबंकी (उ.प्र.)
उद्घोषणा : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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