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मोक्ष का मार्ग

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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आज मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के साथ आदरणीय अटलबिहारी बाजपेई जी की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी क्रिसमस कहने पर बहुत से लोग तपाक से ये रिप्लाई सोशल मीडिया पर कर रहे थे। ये बात २५ वर्ष के पोते ने दादा को बड़ी बेचैनी से बताई। बोला दादू ये तीन पर्व तो हर साल ही तिथि से मनाए जाते है ना! हाँ बेटा पर कभी इस प्रकार मनाते नहीं देखा। अटलजी जब तक जीवित थे तो उनके जन्मोत्सव की शुभकामना का आदान प्रदान नहीं हुआ। पोता बोला- ये वही लोग हैं जो साम्प्रदायिक वैमनस्य से ऐसा करते हैं। हाँ बेटा पहले तो गुड़ी पडवां पर नया साल मनाते थे। ये क्रिसमस और न्यू ईयर ज्यादा लोगों को नहीं मालूम था। इन पर्वों को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सब मनाने लगे ऐसे बहुत से पर्वो की शुभकामना का आदान प्रदान सालभर होता है पर आज एकादशी और गीताजयन्ती सौभाग्य से अटलजी की जनमदिन के साथ है। प्रभू यीशु जैसे सन्त का जन्म भी आज ही है। फिर तो दद्दू लोगो को अपनी धर्मभीरुता छोड़कर सभी पर्व एकसमान ही मनाना चाहिए और ना भी मनाए तो कमसे कम किसी एक का विरोध न करे। बेटा अपने धर्म को निष्ठा से मानना और सभी धर्मों का सम्मान करना ही धर्मनिरपेक्षता है और जब तक इसको आत्मसात नहीं किया जाएगा ये कोरा ढोल पीटने के समान है। दादा-पोते की बात छोटी पोती सुन रही थी। चहकती हुई बोली- दद्दू मैं केक बनाती हूँ और हम दोनों महात्मा का जन्मदिन मनाते हैं पर मोक्षदा एकादशी और गीताजी की जयंती कैसे मनाए? दादा जी बोले- ठंड बहुत है तो दोनों भाई-बहन पास की झुग्गी बस्ती में जाकर गर्म-कपड़े और गजक बाट आओ। यही मोक्ष का मार्ग है तीनों के मन में अप्रतिम प्रसन्नता का संचार हुआ।

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड, बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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