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साथी

संजय जैन
मुंबई

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कटती नहीं उम्र
अब तेरे बिना।
मुझको किसी से मानो
प्यार हो गया।
जिंदगी की गाड़ी अकेले
अब चलती नहीं।
एक साथी मुझे अब
जरूरत आ पड़ी।।

मिलना मिलाना जिंदगी का
दस्तूर है लोगो।
खिल जाता है दिल जब कोई
अपना मिलता है यहां।
जिंदगी के इस सफर में
मिलकर चलो सभी।
यूँही जिंदगी हंसते
हुए गुजर जायेगी।।

मतलबी लोगो से थोड़ा
बच के तुम चलो।
कब धोका तुम्हें दे देंगे
पता चलेगा भी नहीं।
इसलिए अपनेपन की
परिभाषा तुम सीखो।
फिर उसके अनुसार ही
अपनो को तुम चुनो।।

जीवन तुम्हारा सही में
संभाल जाएगा।
हर मुश्किल की घड़ी में
तुम्हें दिख जाएगा।
कौन कौन तेरे साथ खड़े है
मुश्किल की घड़ी में।
सब कुछ तुझे
समाने नजर आएगा।।

अच्छे बुरे लोग सभी
तुझे दिख जाएंगे।
संसार का चक्र
तुम्हें दिख जायेगा।
जिंदगी को जीना
कोई आसान काम नहीं।
मिल जुलकर जीओगें तो
जिंदगी में आनदं आएगा।।

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परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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