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मां बाप “अभिशाप या वरदान”

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हरिनंदन यादव
गोपालगंज

जन्म देकर जिसने हमें
इस दुनियां को दिखाया ।
बोलना, चलना,पढ़ना और
लिखना जो हमें सिखाया ।।
उनके हाथ भी कुछ ना लगी
वो हाथ मलते रह जाते हैं।
कैसी ये दुनिया है लोग
मां- बाप को भूल जाते हैं।।

दिन रात मां मेहनत करती
करती नहीं आराम सही।
बेटे के लालन पालन में
बाप भी कुछ कम नहीं।।
बेटे को भरपेट खिला
वो बिन खाए सो जाते हैं।
कैसी ये दुनिया है लोग
मां- बाप को भूल जाते हैं।।

बेटा जब बड़ा हो जाता
अपने दम खड़ा हो जाता।
फिर बड़े खुशी से मां- बाप
बेटे की शादी रचाते हैं।
कैसी ये दुनिया है लोग
मां- बाप को भूल जाते हैं।।

बेटे बहू अब यह कहते
बहुत किए आप काम सारा,
करिए अब आराम जरा।
फिर कुछ ही दिन में मां बाप को
लात मार भगाते हैं।।
कैसी ये दुनिया है लोग
मां- बाप को भूल जाते हैं।।

दर दर मां बाप भटकते
हरिनंदन है ये बात सही।
६० और ७० की उम्र में
हो ना पाए काम कोई।।
पेट की आग बुझती नहीं
वो भूखे मर जाते हैं।
कैसी ये दुनिया है लोग
मां- बाप को भूल जाते हैं।।

 

लेखक परिचय :- 
नाम :- हरिनंदन यादव
निवासी :- जमसड (गोपालगंज)


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