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क्षमा

क्षमा

रचयिता : विजयसिंह चौहान

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दो ढाई साल की उम्र, मगर बेहद समझदार जैसे परिपक्वता लेकर जन्म लिया हो ! प्यार से सभी उसे डिस्को कह कर बुलाते थे। समय पर खाना-पीना और अपने नित्य कर्म करना, डिस्को की समय पाबंदी को दर्शाता है। शाम को 6:00 बजे तक यदि वर्मा जी घर ना आए तो पूरा घर सिर पर उठा लेता। इतनी कम उम्र में सबका ध्यान रखना बार-बार घड़ी  देखना,  गुस्सा करना, सबको प्यार करना और इधर-उधर डोलते रहने के कारण ही घर के सब लोग उसे डिस्को कहकर पुकारते हैं।
कल शाम की ही बात है, वर्मा जी के साथ डिस्को घूमने निकला चूंकि डिस्को कद काठी से मजबूत होने के कारण गली के कुत्तों से कहीं ज्यादा तगड़ा है। चहल कदमी के दौरान एक मरियल सा कुत्ता उसे देख-देख घूरने लगा। डिस्को चूकी वर्मा जी के हाथों बंधा था,  इसलिए वह नजरअंदाज करते हुए अपने नित्य कर्म में तल्लीन था, तभी मौका पाकर मरियल से कुत्ते ने अपना रौब जमाने के लिए गुर्राना प्रारंभ किया और बंधा हुआ देख प्रहार भी करने से नहीं चूका देखते ही देखते मरियल से कुत्ते ने डिस्को की आंख के ऊपर अपना गुस्सा जाहिर कर दिया परिणामतः खून डिस्को की आंखों तक उतर आया। डिस्को ने जब प्रतिकार के नथूने फुलाकर पलटवार की कोशिश कि तब तक मरियल सा कुत्ता दुम दबाकर बैठ गया। डिस्को ने प्रहारात्मक मुद्रा में तीन चक्कर लगाए और दुबक कर आत्मसमर्पण भाव को  देखते हुए वह वर्मा जी के साथ हो चला। मानो निहत्थे पर वार ना करना और क्षमा बड़न को चाहिए जैसी बातें उसके मन में चल रही हो।

लेखक परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसम्बर १९७० जन्मस्थान इन्दौर (मध्यप्रदेश) है, इसी शहर से आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की, आप सामाजिक क्षेत्र में गतिविधियों में सक्रिय हैं, वहीं स्वतंत्र लेखन, सामाजिक जागरूकता, के साथ साथ समाज सेवा भी करते हैंl
लेखन में आपकी विधा-काव्य, व्यंग्य, लघुकथा और लेख हैl आपकी उपलब्धि यही है कि, उच्च न्यायालय (इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता जारी है। हाल ही में आपको डॉक्टर एसएन तिवारी स्मृति सम्मान समारोह में साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया है।

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