ऋषभ गुप्ता
तिबड़ी रोड गुरदासपुर (पंजाब)
********************
कुछ गहरे राज़ छुपे थे दिल में
कागज़ और कलम उठाया
तो निकल कर बाहर आए
बातों में कुछ दर्द ऐसा छुपा था
जिस अकेलेपन का एहसास
कागज़ की महक और
कलम की खुशबू में भी हो रहा था
जो कागज़ और
कलम के भी आँसू ले आए
कोई साथ ना था मेरे जब
कोई पास ना था मेरे जब
हर रास्ते पर अकेला चला मैं था जब
सोचता था कौन है मेरा यहाँ
तो कागज़ और कलम मेरा हाथ थाम
उन राहों पर साथ चलने आए
रास्ता मुश्किल था
मंजिल भी दूर थी
दूर.दूर तक सन्नाटा था
लेकिन कागज़ और कलम ने
कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा
सोचता था कैसे उतारूँगा इन का कर्ज़
जो हर समय साथ देने आए थे मेरा
सुख से भी ज्यादा मेरी परेशानी के समय
दिल के दरिया में ख्वाबों का इक महल
कागज़ पर लफ़्ज़ो की
माला में सजा कर लिखा था
जो हर बार उनको पूरा करने के लिए
मुझे नींद से जगाने आई
हवाओं के रुख बदलने से
कुछ ऐसा तूफान उभरा
कि गिर कर उठना मुश्किल हो गया
पर हर बार उस तूफान से बचाने के लिए
कागज़ और कलम जरूर आए
लफ्जों में छुपे एहसास को
कलम यूं अपना बनाए कि
कागज़ पर उन्हें उतार कर
हर एक के दिल में अपनी जगह बनाए
ख्यालों और लफ्जों की गुफ्तगू में कई बार
कागज़ और कलम में फासला रह गया
पर वह कभी मुझसे रूठ कर
दूर जाने की शिकायत करने नहीं आई
जिन लफ्जों को होंठों पर नहीं उतार सके
उनको कलम की रूह में बसा कर
कागज़ के सीने पर उतार आए
जब ज़ुबान ने चुप होना
बेहतर समझा तब
कलम को दिल ने अपना समझा
खुद बह कर अंजान कोरे कागज़
को अपना बनाए
जज़बात किसी और के लिए
खुद को एक ख्माध्यम,ज़रिया बनाए
जितने भी लफ़्ज़ों को लिखा
हर लफ़्ज में कुछ आस हो
यह सोच कर लिखा
जब कोई पढ़े इसे आखें चमके
और दिल में नई रोशनी लेकर
ख्वाबों की डोर पकड़ने के लिए
उड़ना सीख जाए
पंछी बन कर उड़ अपनी ही धुन में
ऊंचे पहाड़ों को छूकर
पैगाम देने जाए
इसलिए लफ़्ज़ों को कागज़ पर उतार कर
वो लेखक कहलाने का ताज अपने सिर पाए
ऐसी खास है यह कलम
खुद धीरे-धीरे लुप्त हो कर
कोरे कागज़ को पूरा कर जाए
और बदले में कुछ न मांग कर
इस दुनिया को जीने की नई मंज़िल दे जाए
क्या कहूँ तेरी तारीफ में
ए कागज़ ए कलम
लफ़ज भी कम पड़ जाए
कुछ तो बात जरूर है तेरी फितरत में
वर्ना तुझे बार-बार गले लगा कर
अपना बनाने की खता को कौन ना करना चाहे
परिचय :- ऋषभ गुप्ता
निवासी : तिबड़ी रोड गुरदासपुर (पंजाबप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.