Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पंडाल बनाम अवध महल के राम

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)

********************

                       (ताटंक छंद)

रामायण महाभारत कथा कलयुग को सौगाते हैं
दिखे हरेकयुग खोटे चरित्र, कुटिलचाल अपनाते हैं

रावण गुणवान अहंकारी, जिससे धरा थर्राए थी
भाई विभीषण जपते राम, गाली खरा सुनाए थी
बहन शूर्पणखा चालाकी, लंका मरा बनाये थी
भाईबहन की साजिशों से, कलयुग में मिट जाते हैं
रामायण महाभारत कथा कलयुग को सौगातें हैं

दासी मंथरा कुटिलता से, रामतिलक रुकवाती है
कैकेयी प्रभावित होकर, हक दशरथ से पाती है
समक्ष भरत के आते ही जो, मंगलथाल सजाती है
दशरथ वचनपालन खुशी से, वनगमन रामजाते हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगातें हैं

संतानमोह और कुटिलभाव, तात पर हैं जरा भारी
दुर्योधन की धमकियां सुनते, सदा सहमाडरा जारी
मामा शकुनि भी लेवे शपथ, दूषित परंपरा सारी
पितापुत्रों मामाभांजों की, अनेक घर की बातें हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगातें हैं

दुष्ट चाल से कष्ट पिता को, कंस बंदी बनाता है
बहन देवकी पुत्रों की हत्या, वो हर बार कराता है
विष्णु अवतारी बालकृष्ण, यमुना पार कराता है
मामाकंस के सभी राक्षस, चुटकी मोक्ष दिलाते हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगाते हैं

अपराधी रिश्ते प्रकरण तो, सफलबहुत हो जाते हैं
अच्छाई पर हावी बुराई, खूब नियंत्रण पाते हैं
पहले कर्मधर्म से राजा, अब षड्यंत्र कराते हैं
गुंडातत्व वाचालता से, शाही द्वार सजाते हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगातें हैं

तीन तलाक तीन सौ सत्तर, नागरिकता लड़ाई है
रक्षा जरूरत अवरोध हुआ, मांग राफेल आई है
चीन पाक को पीछे धकेल, जग में धाक बनाई है
गाली कुतर्क धमकी साजिश, दृढ़ता से हटाते हैं
रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगातें हैं

पहले रहे टेंट सहे कष्ट, कथा सदियों पुरानी है
सदासत्य बने ‘विजय’ मार्ग, धर्म बहुत अभिमानी है
रामजन्म के सारे सबूत, बने कोर्ट निशानी है
बड़ी देर भई नंदलाला, राम यही सिखलाते हैं
युगयुग के पंडाल राम, अवध महल में आते हैं
युगयुग के पंडाल राम, अवध महल में आते हैं

रामायण महाभारत कथा, कलयुग को सौगाते हैं
दिखे हरेकयुग खोटे चरित्र, कुटिलचाल अपनाते हैं
युगयुग के पंडाल राम, अवध महल में आते हैं
युगयुग के पंडाल राम, अवध महल में आते हैं।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति :१९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *