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पलाश और अमलतास

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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प्रकृति का लिए श्रृंगार दोनों आते साथ-साथ।
एक मित्र है पलाश और दूसरा है अमलतास।

जब सुन्दर रक्तिम आभा से झिलमिलाता पलाश।
स्वर्ण कली से पुष्पित होकर इठलाता अमलतास।

जो प्रेम से मदमस्त होकर, नाच उठता है पलाश।
होले-होले लहराता फिर, झूम उठता अमलतास।

तपती दोपहरी में लगे युद्धभूमि-सा क्रुद्ध पलाश।
शीतलता को सरसाता, शान्त पवन-सा अमलतास।

सुर्ख लाल-लाल प्यार का रंग, दे जाता जब पलाश।
पीत पावड़े होने तक संग, दोस्ती निभाता अमलतास।

सूद-बुद खोकर जब अपना सर्वस्व लुटाता पलाश।
नित न्यौछावर हो, कोमल पुष्प बरसाता अमलतास।

प्रेम में लूट जाने की अनोखी रीत निभाता पलाश।
मित्रता की जग में अद्भुत मिसाल बनाता अमलतास।

विपत्ति में भी जीने की राह दिखलाता है पलाश।
हो विषमपथ धीरज धरना, सिखलाता अमलतास।

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड, बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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