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दर्द

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
उज्जैन (मध्य प्रदेश)

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कतरा कतरा टूटती
क्यू ज़िन्दगी
हर पल दर्द में डूबी
हुई क्यू ज़िन्दगी
उन पलों में जिनमें
हंसना चाहिए था खिलखिलाकर ,
अश्क की धारा बनी
क्यू ज़िन्दगी
हर पल दर्द में डूबी हुई
क्यू ज़िन्दगी
भोर की पहली किरण
मेरी कभी होगी कही,
पूर्णिमा की चांदनी भी
मुझको अपनी सी लगेगी,
स्वप्न में ही बस मुझे क्यू
ये बताती ज़िन्दगी,
हर पल दर्द में डूबी हुई
क्यू ज़िन्दगी
तेरी स्नेह ज्योति से
जीवन को पाकर
ज़िन्दगी सबको
बांटा करूगी,
ये सपना मेरा अगर
सच होता तो
कतरा कतरा
टूटती ना ज़िन्दगी
हर पल दर्द में डूबी हुई
क्यू ज़िन्दगी।

परिचय :- श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
जन्म दिनांक : ५/११/१९६२
निवासी : महाकाल वाणिज्य केंद्र उज्जैन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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