Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पाती तेरे नाम

पूनम शर्मा
मेरठ
********************

कर्मों की खेती
कभी सूखती, तो कभी
लहराती थी पर,
तुझे काटने की
कितनी जल्दी थी,
काटता चला गया
उनींदी सी आंखों से,
आधा अधूरा छोड़,
सरक लिया,
मेरी आंखें ताउम्र
तलाशेंगी तुझे,
तू तस्वीर में
कैद हो गया मेरे भाई,
मोबाइल का दायरा उलांघ,
कानों में फुसफुसाता है,
ऐसा लगता है,
यहीं आसपास है
तू कब भाई का
दायरा लांघकर
दोस्त बन गया था मेरा,
खट्टी-मीठी सारी बातें
साझा करते-करते,
कौन से लोक चला गया,,
अब कभी फोन नहीं आएगा
ना मैं मैसेज करूंगी
ना ही नीला “टिक” बनेगा
मेरे छोटे भाई विजय !
तू कितना बड़ा हो गया रे
समझदारी की बातें
समझाते समझाते
फुर्र से उड़ चला,
अभी कल की ही तो बात है
“अस्पताल जा रहे हैं जीजी !”
झूठा…
तू तो निकला था
अनंत सफर को
नंगे पांव,
किसका हाथ थामा तूने !
हम सभी का हाथ छोड़
कहां चला गया मेरे भाई
मुझसे ज्यादा चाहने वाला
कौन मिल गया रे,
कितना चाहती थी तुझे,
कलेजा फ़ाड़ कर
नहीं दिखा सकी
हनुमानजी की तरह,,
विधाता ने कैसा विधान रचा,
डायलिसिस हावी हुआ या,
कोरोना जंग जीत गया,
अस्पतालों की कार्य प्रणाली अब,
व्यवसाय का चोला पहन
सीढ़ियां चढ़ती जा रही है,
सरकारी मामला है,
मैं तो भावनात्मकता की दीवारों
में चुनी गई हूं,
अब कौन कहेगा मुझसे,
“आपकी लेखनी ईश्वरीय शक्ति है”
“मुझे आपसे बात करके ,
स्प्रीचुअल पावर मिलती है”
अब न शब्द हैं, न तू है,
बस बाकी है सनसनाती हवा,
उड़ते जीवन के पन्ने दर पन्ने,
दौड़ दौड़ कर समेटती हूं,
दबोच लुंगी इन्हें,
यादों में, सांसों में,
तू भाई है मेरा, मैं तेरी बहना,
मेरी राखी तोड़कर क्यों भागा
दया नहीं आई मुझ पर
तू बहनों के लिए सौम्य था न,
दुनिया भर का दर्द,
होली के रंग की तरह
उड़ेल गया मुझ पर,
कैसा भाई निकला रे तू
आंखें बंद करती हूं तो तू,
खोलती हूं तो तू ही तू
कैद है मेरे भूत में ,भविष्य में,
और वर्तमान में सदा के लिए,
कौन सी शांति तलाशने
निकल पड़ा रे भाई !
बुद्ध की तरह बीबी बच्चे छोड़
घर वालों को अशांति-पत्र थमा,
द्रवित मन को डुबो गया
नमकीन पानी में….

परिचय :- पूनम शर्मा
निवासी : मेरठ
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *