डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
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हे देश के अप्रतिम लाल! तुझे कोटिशः नमन!!
नेताजी जैसे लाल से खिल जाता है राष्ट्र चमन!
जानकी नाथ औ प्रभावती की बगिया में खिला जो प्रसून
आजादी देने के बदले मांँगा था देशवासियों से वो खून
अद्वितीय क्रांतिकारी थे वे और राष्ट्रवादी नेता प्रखर
आजाद हिंद फौज के जनक मुख्य सेनापति बनकर
साम्राज्यवादियों को दिखा अंगूठा बनाई अस्थाई सरकार
जर्मनी जापान सहित ११ देशों से मान्यता लेकर
कार्यालय बनाया द्वीप अंडमान निकोबार
अंँग्रेजों पर किया तुमने आक्रमण पर आक्रमण
छक्के छुड़ा होश उड़ा दिन में दिखलाए तारेगण
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की स्वतंत्रता के हित
लड़े प्राण प्रण से किया विपुल यश मान अर्जित
अपनी प्रबल सामर्थ्य से कँपा दिया विदेशी शासक को
अपने व्यक्तित्व कृतित्व से घबरा दिया सत्ताधीशों को
अत्यंत प्रभावशाली युवा व्यक्तित्व थे तुम सुभाषचंद्र
भारतीय राष्ट्रीय सेना के अदम्य अग्रणी ध्वजाधर
अंँग्रेजों के अन्याय अत्याचार के तुम थे प्रबल विरोधी
देश व देशवासियों के मान-सम्मान के संरक्षक रोधी
नेतृत्व के गुण अतुलनीय तुम दुनिया को दिखलाए
अप्रतिम नेतृत्व क्षमता के बल जग में नेताजी कहलाए
देश शिवाजी राणा के सम्मुख धर तेरा भी गुण गाए
माताएंँ गौरव में भर निज पूतों के नाम सुभाष धराएँ
तूने दिया राष्ट्र को जय हिंद का गौरवमय नारा
आज भी गर्व से बोलता है जिसे राष्ट्र सारा
तेरा नाम लेकर देश जाता है गर्वानुभूति से भर
आज भी युवाओं के तुम प्रेरणास्रोत श्रेयस्कर
२३ जनवरी १८९७ को किया तुमने पावन धरा
१८ अगस्त १९४५ के बाद तेरा न कोई पता चला
यह दिन जापान मनाता प्रतिवर्ष तेरे शहीद दिवस के रूप में
२३ जनवरी को भारत मनाएगा पराक्रम दिवस के रूप में
जब तक सूरज चांँद औ सितारे रहेंगे इस जगती में
देदीप्यमान नेताजी सम्मुख शीश रहेगा नत भक्ति में
परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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