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हमारा लॉकडाउन

राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)
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पूरा शहर बंद हो गया था। पता नहीं महामारी से कब तक देश में लॉकडाउन रहेगा? वर्षा सब कुछ सुन रही थी पर चुप थी। उसका मन तो कर रहा था। इसे आज ही एहसास हुआ है कि लॉक-डाउन सुबह से चालू हो गया हैं। आज से सभी दुकानें बंद रहेगी। स्कूल, कॉलेज बंद रहेंगे।यात्रायात के सभी साधन बंद रहेंगे।
घर में किस तरह रहेगा यह, बंद होकर इसकी अय्याशी जो बंद हो जाएगी। रोज की महफिले, वही दारू पीकर तमाशा करना। जिस महफिल में रोज मजा मारता है वह बंद हो जाएगा। कॉलेज भी बंद हो गया है, वह कर रहा था। बेटे की पढ़ाई का क्या होगा? साल खराब हो जाएगा।
वर्षा मन ही मन सोच रही थी वैसे कौन सा बेटा पास हो जाएगा? वह भी तो बाप पर ही गया है। किताबे तो उसे हमेशा दुश्मन दिखाई देती है। मैं ही उसकी किताबों को समेटती रहती हूँ। किताबे तो ज्ञान का भंडार होती हैं। ऐसा ही कहते थे मेरे पिताजी। अगर शादी ना हुई होती तो मैं भी कहते-कहते वह चुप हो गई थीं।
अब अतीत को याद करके का क्या फायदा? मेरी तो किस्मत में ठोकरें लिखी थी। कमरे में आते ही फिर चालू हो गए थे, ये। कमबखत सब राजनीति हैं, राजनीति के चलते ही तो लॉक-डाउन किया गया हैं। इन्हें क्या समझ हैं इससे गरीब जनता में त्राहि-त्राहि मच जाएगी। लोग बीमारी से भले ही बच जाए। पर भूख से जरूर मर जाएंगे। कुछ भी करने से पहले सरकार को इस पर भी तो विचार करना चाहिए था। पर सरकार क्यों समझेगी गरीब जनता का दुःख- दर्द? उन्हें तो सिर्फ राजनीति ही करनी आती हैं। अपनी राजनीति के चक्कर में गरीबों की आहुति देने से भी परहेज नहीं करते यह राजनेता।
कल ही इनका लाड़ला कह रहा था। पापा सरकार ने ऐलान कर दिया हैं कि सभी गरीबों के खाने का सरकार ध्यान रखेगी। कोई भी देश में भूखा नहीं रहेगा। सरकार योजनाबद्ध तरीके यह काम करेगी। वह अधिक से अधिक लोगों के भोजन की व्यवस्था करेगी। अच्छा, फिर तो सरकार के इस कार्य की सरहाना करनी चाहिए बेटा। हाँ, पिताजी सरकार लोगों को खाते में रुपए भी भेजेंगी, सच में बेटा। पिता जी अभी तो ऐसा ही सुना हैं। काश ये कार्य सरकार शीघ्र शुरू कर दे। वैसे भी लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। देखना गरीबी का स्तर कितना बढ़ जाएगा? उधोग-धन्धे बंद हो जाएंगे। लोगों का बुरा हाल हो जाएगा। पर पिता जी महामारी के बारे में भी सोचिए, यह महामारी बहुत ही खतरनाक हैं। इसने धीरे-धीरे ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया हैं। लोग बड़ी संख्या में मर रहे हैं, इसका इलाज भी नहीं हैं। अगर सावधानी ना रखी गई तो दुनिया में चारों तरफ लाशें ही लाशें होगी। और पिता जी जब इंसानियत ही नहीं रहेगी तो क्या गरीबों, क्या काम-धन्धे?
वर्षा बाप-बेटे की चर्चा को ध्यान में सुन रही थी। पर सोच रही थी, यह बीमारी तो सच में बड़ी भयानक हैं। इससे तो मानव-जाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। कल पड़ोस की औरतें भी तो कर रही थी कि यह बीमारी बड़ी तेजी से फैल रही हैं। इसके कारण दुनिया हजारों लोग मर रहे हैं। इसका इलाज किसी देश के पास नहीं हैं।
पर हमारे देश में तो औरतों ने हमेशा ही लॉक-डाउन का पालन किया हैं। गाँव हो या शहर, नगर हो या महानगर। औरतें तो सदा ही लॉकडाउन का पालन करती हैं। पहला लॉक-डाउन तो लड़की पैदा होते ही चालू हो जाता हैं। लड़की पैदा हुई, ना कोई खुशी ना उत्साह बस उसी दिन से उसकी चिंता करने लग जाते हैं। बेटी नहीं खर्चे का भंडार पैदा हो गई हैं। दूसरा लॉक-डाउन बेटों से तुलना। हर बात में बेटी को अहसास करवाया जाता है कि वह बोझ है परिवार पर। तीसरा लॉक- डाउन शिक्षा के नाम पर लड़की को बस इतना ही पढ़ाया-लिखाया जाता हैं कि चिठ्ठी पढ़- लिख ले। पर पिता जी के विचार बिल्कुल अलग थे। वह मुझें खूब पढ़ाना चाहते थे। हमेशा कहते थे कि तुम्हें खूब पढ़ाऊंगा पर यह एक पिता की मजबूरी थी कि जवान होती बेटी को कोई भी पढ़ाने-लिखाने के हक में नहीं था। गाँव की सभी लड़कियों की जल्दी शादी कर दी जाती थी। पिताजी को भी ना चाहते हुए परिवार, समाज के दबाव में हार माननी पड़ी थी। उन्होंने मेरी शादी कर दी थीं। वह था मेरी शिक्षा का लॉक-डाउन।
वर्षा क्या तुम्हें लॉकडाउन के बारे में पता हैं? सरकार ने काफी कुछ बंद कर दिया हैं। पता हैं लॉक-डाउन के बारे में आज से नहीं वर्षों से। हम औरतों के जीवन में तो हमेशा ही लॉक- डाउन रहता हैं। जन्म से, शिक्षा से लेकर विवाह तक। विवाह के बाद भी जीवन से यह समस्या हल नहीं होती। वर्षा फट पड़ी, पति को समझ नहीं आ रहा था कि वर्षा को इस लॉक-डाउन से क्या हो गया हैं?
वर्षा जोर से चिल्ला रही थीं कि औरतों को क्या फर्क पड़ता हैं इस लॉक-डाउन से। उनका जीवन तो हमेशा ही एक तरह का लॉक-डाउन हैं…..

परिचय : राकेश कुमार तगाला
निवासी : पानीपत (हरियाणा)
शिक्षा : बी ए ऑनर्स, एम ए (हिंदी, इतिहास)
साहित्यक उपलब्धि : कविता, लघुकथा, लेख, कहानी, क्षणिकाएँ, २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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