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हमारी आज़ादी

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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२०० वर्षों तक यहाँ अंग्रेज
करते रहें मन मानी
हमने भी यह ठान लिया था
हार न हमने मानी
कुछ खोना पड़ता है जो
तुम कुछ भी पाना चाहो
वीर शहीदों की दास्ताँ
तुम जो बताना चाहो
सभी धर्म और रीति रिवाज
सिर्फ यहीं मिलते हैं
आजाद भारत में रह कर
सबके चेहरे खिलते हैं
अनेकता में एकता
भारत की है विशेषता
स्वाभिमान की रक्षा के लिए
समस्त भारत एक था
तीन रंगो से बना तिरंगा
हमको यह सिखलाता
हम जो हैं तो भारत माँ पर
आँच न आने पाता
केशरिया रंग सिखलाता
साहस और बलिदान
श्वेत रंग ने रखा हमेशा
सच्चाई का मान
हरा रंग संपन्न बनाये
चक्र सदा गतिशील
राष्ट्र बने ये श्रेष्ठ हमारा
और रहे प्रगतिशील
१५ अगस्त है हम सबका
प्यारा राष्ट्रीय पर्व
जिस पर है हम भारतियों को
स्वयं से ज्यादा गर्व
उन वीर शहीदों के सर पर
आजादी का ताज है
जिनके दम पर कायम
“सुकून” भारत में आज है

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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