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वतन हमारा

रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.
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जान से प्यारा वतन हमारा
जग से न्यारा देश है प्यारा

ये ऋषियोँ की है तपो भूमि
ये अर्जुन कृष्ण की है कर्म भूमि
यहाँ है जन्मे बौद्ध महावीर
यही से निकले परसुराम शूरवीर
यही हुआ है जन्म दधीचि का और
रामकृष्ण, विवेकानन्द जैसे जगत गुरु का

देवी अहिल्या हो या लक्ष्मीबाई
कल्पना चावला या फिर मीरा बाई
नारी शक्ति ने भी अपनी अलग ही पहचान बनाई

तरह तरह की भाषाए और
तरह तरह के परिधानो में,
विभिन्न रीति रिवाजों और
अलग अलग धर्मो के धागों में
बंधा हुआ ये देश है प्यारा

जब भी धरा पर विपदा आई
विश्व गुरु की छवि है पाई
छिपा हुआ हर समाधान यहाँ पर
होती है मुश्किलें आसान यहाँ पर

कोरोना के टीके में भी
सर्वे भवन्तु सुखिनः की छाप है आई
और भारत ने पूरी दुनिया मे गरिमा पाई

अनेकता में एकता और
देश की अखंडता ही भारत की है विशेषता

परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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