दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)
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या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा।
मैं अपने ईमा पे कितना उतरा हूँ खरा।
कितने लोगों को आई पसंद मेरी अदा।
में कितनो को भाया अभीतक,
और कौन मुझपे हुआ फिदा।।
कितनो के लिए मैं अच्छा हूँ,
और कितनो के लिए हुआ बुरा।
या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा…
फिक्र नही फरिश्तों में गिनती हो मेरी।
सब खुश रहे बस यही विनती है मेरी।।
फिर भी आज दर्द का एहसास क्यों हुआ,
ये किसने मेरे पीठ पीछे घोंपा है छुरा।
या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा…
बंदगी की तेरी मैंने रात दिन यहां।
में तेरी चौखटों पे फिरा यहां वहां।।
में अपनों की खुशी तुझसे मांगता रहा,
रखना तू मेरे अपनो को बस हरा भरा।
या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा…
इस जहां में कोई भी उदास न रहे।
मजबूरी के नाम पर उपवास न रहे।।
मिले ना कोई मांगता भीख भी यहां,
सभी के सर पे छत हो सभी को आसरा।
या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा…
रहेगी कोशिशें मेरी में सबका साथ दूं।
रखें उम्मीदे मुझसे कोई उसको हाथ दूं।।
कभी कभी तो ऐसा मौका मिलता है यहां,
दे हौसला तू मुझको इस तरह से ना डरा।
या खुदा तू मुझे बता तो दे ज़रा…
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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है। गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।
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