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ऊफ ! ये गर्मी

डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
नागपुर (महाराष्ट्र)
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तेज हवा के थपेड़ों से
सीहर उठा ये बदन।
चारों तरफ सन्नाटा हैं
खौफ हैं,
कपड़े की परतों से
झांकती कोमल ये आंखें,
कितनी सूर्ख और लाल हैं।
चलना दुस्वार हुआ पैदल
बाहर पेट्रोल की मार हैं।
दुबके कब तक रहेगें हम
रोज रोटी कि तलाश हैं।
अनगिनत पेड़ों की लाशों से
सबक नहीं सीखा हमने
आज चिलचिलाती धूप में
ठंडे पानी कि सबको तलाश हैं।
किससे गिला शिकवा करें,
यहां हमाम में सब बेनकाब हैं।
पेड़ लगाया एक पीढ़ी ने
दूसरों ने उसे उजाड़ दिया।
आंखें खुली तो याद आया
धरा को किसने नरक बनाया।
अबभी समय हैं संभलनें का
जल जमीन को बचा लीजिए,
इन तेज थपेड़ों से सबको
पेड़ लगाकर राहत दीजिए।
कर सको कोई पुनित काम
तो पक्षियों को पानी दीजिए
इस तेज गर्म धूप में कोई मिले
उस भूखें नंगे को भी सहारा कीजिए।
ये समय भी यूं ही गुजर जाएगा।
बस! समय बदलने का
थोड़ा इंतजार कीजिए।

परिचय :- डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
मूल निवासी : अमझेरा, जिला धार (म.प्र.)
जन्म दिनांक : १२/११/१९६६
शिक्षा : एम.ए.,एमफिल, पीएच.डी
* वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक
* शिक्षाविद्‌
* भूगोलवेत्ता
* पीएचडी शोध सुपरवाईजर
* कवि, कहानीकार व लेखक
सम्प्रति : (सहायक कुलसचिव ) नागपुर (महाराष्ट्र)
सम्मान : ग्राम गौरव अवार्ड, समाज रत्न सम्मान, समाज भूषण अवार्ड, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, प्रखर प्रवक्ता सम्मान, साहित्य रत्न और साहित्य भूषण सम्मान, यंग ज्याग्राफर्स अवार्ड, क्रांतीकारी लेखक सम्मान, उत्कृष्ट मंच संचालक सम्मान, शब्द अलंकरण सम्मान, सरस्वती मानस सम्मान, उत्कृष्ट समाज सेवक सम्मान आदी सम्मान से सम्मानीत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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