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दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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प्रीत गठबंधन का हमारे, अभी न होगा अंत!
बसी है हृदय में प्रिये, तुम्हारी छवियां अनंत!

अधर मधु रस पान की आशा!
उर को प्रीत की चिर प्रत्याशा!
मन की कैसी कैसी अभिलाषा!
मानो हृदय बस गया हो वसंत!

तुम चिरानंद का दिव्यप्रपात!
सुरभि कस्तूरी तुम्हारा गात!
अहे,प्रेम की मधुर ये सौगात!
उर ताप करती शीतल तुरंत!

रोमकूप उत्फुल्ल उर्मिताप से!
सुर्ख लब कपोल रक्तदाब से!
सज्ज देहयष्टि कठिन नाप से!
समाया हैं मानो तुझमे दिगंत!

प्रीत गठबंधन का हमारे, अभी न होगा अंत!
बसी हैं हृदय में प्रिये, तुम्हारी छवियां अनंत!

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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