दिल्ली। साहित्य संगम संस्थान दिल्ली के तत्वाधान में आयोजित शिक्षकों के सम्मान में ०६/०९/२०२० को दोप. १ बजे से गूगल मीट पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें आमंत्रित कवियों में पुणे महाराष्ट्र से आद सोनी गौतम जी, बरेली उत्तर प्रदेश से आद डॉ दीपा संजय दीप जी, लखनऊ उत्तर प्रदेश से आद अर्चना वर्मा जी, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से आद जयहिंद सिंह हिंद जी, जबलपुर मध्यप्रदेश से आद छाया सक्सेना जी, भिवानी हरियाणा से आद विनोद वर्मा जी, भिंड मध्यप्रदेश से मनोरमा जैन पाखी जी, मेदनी नगर झारखंड से आद राम प्रवेश पंडित जी की उपस्थित हुए, प्रमोद पाण्डेय जी, तकनीकी समस्या के कारण असम से आद सुचि संदीप सुचिता जी उपस्थित नहीं हो पाये, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आद तेजराम नायक तेज जी रायगढ़ छत्तीसगढ़, विशिष्ट अतिथि आद डॉ राकेश सक्सेना जी एटा उत्तर प्रदेश कार्यक्रम के अध्यक्ष आद राजवीर सिंह जी, कार्यक्रम के कुशल संचालन आद. विनोद वर्मा दुर्गेश जी के करकमलों से बहुत ही बेहतरीन ढंग से संचालित हुआ कार्यक्रम के शुभारंभ में मां वीणा वादिनी मां सरस्वती की वंदना डॉ. अर्चना वर्मा के करकमलों से सम्पन्न हुआ, आपने आज के शिक्षकों के सम्मान में काव्य पाठ पर मुक्तक के माध्यम से शुरुआत की जीवन के हैं वो दर्श दिखाये, शिक्षा से वो जाग्रति लाये। बने कुम्हार सांचे गढ़कर- शिष्यों को है दिशा दिखाये। आद. डॉ दीपा संजय दीप नें अपनी पंक्ति “जब लक्ष्य दृष्टिगत हो जाए जब सम्यक मार्ग नज़र आए”, राम प्रवेश पंडित ने बिना गुरु के जीवन क्या बिना नाव पतवार। पड़ा जीव मझधार में तू ही खेवनहार। अपनी प्रस्तुति दी, आद. मनोरमा जैन पाखी ने अपनी पंक्तियों में “क्या लिखूँ उनके लिए, जिन्होंने मुझे लिखा। आचरण से जिनके मुझे सदा नया पथ ही दिखा” आद. जय हिन्द सिंह हिंद ने शिक्षकों के सम्मान पर काव्य पाठ कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए “गुरु की महिमा अनन्त है, करें कितना बखान। बिन गुरु से ज्ञान मिले, होता नहीं उत्थान।।” आद. छाया सक्सेना ने कुंडलिया के माध्यम से शिक्षकों के सम्मान में काव्य पाठ की गुरु उपकारों का नहीं, होता कोई मोल। मात पिता शिक्षक त्रयी, ये सब हैं अनमोल।। आद. सोनी गौतम ने अपनी पंक्तियां निवेदित करते हुये कहा कि जिसका दूजा नाम समर्पण, शिक्षक वो कहलाते हैं। आद. विनोद वर्मा दुर्गेश ने अपनी प्रस्तुति गुरू बिना जग में नहीं इक सच्चा खेवनहार जीवन-तरणी पार लगाए बनकर इक पतवार। आद राजेश कुमार तिवारी ने कहा कि आज का कार्यक्रम बहुत ही अच्छा रहा। एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों से मन आनंदित हुआ और ज्ञानवर्धन भी हुआ। आदरणीय नवीन भाई जी को धन्यवाद कहता हूं कि इस तरह के कार्यक्रम कराते ही रहते हैं। इनकी ये ऊर्जा माता शारदा हमेशा बनाए रखें। बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाइयां। मैं इस कार्यक्रम के संयोजक के कुशल नेतृत्व होने का अहो भाग्य मानता हूं की हिंदी के संस्थान पर शिक्षकों के सम्मान पर आज यह कवि सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें विभिन्न प्रांतों के कवियों के द्वारा काव्य पाठ किया गया, इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. राकेश सक्सेना जी, मुख्य अतिथि तेजराम नायक तेज जी, कार्यक्रम के अध्यक्ष आद. राजवीर सिंह की उपस्थिति में यह कार्यक्रम सफल पूर्वक सम्पन्न हुआ, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आद तेजराम नायक तेज ने कहा कि साहित्य संगम संस्थान का यह अभिनव पहल जिसमें शिक्षकों के सम्मान पर ऑनलाइन कार्यक्रम रखा गया निश्चित तौर पर बहुत ही अच्छा और सराहनीय कार्यक्रम रहा।
“माताओं से जन्म मिलता,
पिता रखते सुरक्षा का ध्यान।
पर सत्य धर्म पर चलने का,
गुरु ही देते हैं हमको ज्ञान।।
गुरु की महत्ता है महान।”
गुरु की महत्ता को शब्दों में बखान कर पाना सम्भव न है पर गुरु के सम्मान में अपने भाव पुष्प मुक्त कंठ से साहित्य संगम संस्थान के सदस्यों द्वारा समर्पित किया गया। इस हेतु मैं सभी को बधाई प्रेषित करता हूँ। इस अभिनव पहल के लिये आ. अनुज नवीन कुमार भट्ट नीर जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं साधुवाद……, विशिष्ट अतिथि आद डॉ सक्सेना ने कहा कि श्रेष्ठ समाज तथा राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की सदैव से अहम् भूमिका रही है क्योंकि शिक्षक न केवल शिक्षण का कार्य करता है अपितु अपने आचरण व व्यवहार से समाज को दिशा देने का कार्य करता है।
गुरु- सद्गुरु या फिर कहूँ,
शिक्षक या आचार्य।
भिन्न तत्व पर एक हैं,
चारों ही के कार्य।।
डॉ. राकेश सक्सेना अध्यक्ष महोदय जी द्वारा कार्यक्रम की सफलता कामना करते हुए आयोजन, संचालन, एवं विभिन्न प्रांतों के संस्थान द्वारा ऐसे आयोजन होते रहें यह कार्यक्रम का विशेष धन्यवाद नीर को साथ ही साथ ही उपस्थित विभिन्न प्रांतों के कवियों कवित्रियों एवं , आद. विनोद वर्मा दुर्गेश जी का इस कार्यक्रम की तरफ से सादर आभार वंदन आप का परस्पर सहयोग से ही यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ है, सभी को एक डोर में बांधकर एकता की मिसाल पेश की, एकता की भावना जागृत होती है गुरूयो के द्वारा नई नई शिक्षा प्रदत्त की जाति है, सबको एक समान व्यवहार रखना गुरू का ध्येय होता है, उनके लिये कोई छोटा बड़ा नहीं होता समान शिक्षा समान आचरण सूत्र अपनाकर अग्रणी होते है। इस भव्य कवि सम्मेलन शिक्षकों के सम्मान में एक से एक प्रस्तुति आई। इस कार्यक्रम में उपस्थित विद्व मनीषियों में मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ. भावना दीक्षित जबलपुर, संगीता जैन असम आदि थे।
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