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राष्ट्रभाषा बने एक दिन

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच
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सारी जनता भारत की जब,
इसको गले लगाएगी।
विश्वगगन में हिंदी ऊँचा.
तब परचम लहराएंगी।।

हिंदी के पहरेदारों से,
मेरी सतत यही आशा।
राष्ट्रभाषा बने एक दिन,
हिंदी ये है अभिलाषा।।
हिंदी में साहित्य सृजन ही,
नई भोर को लाएगी।
विश्व गगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएंगी

हिंदी को मां समझने वालों,
हिंदी में व्यवहार करो।
लिखना पढ़ना हिंदी में हो,
मत इससे इनकार करो।।
गौरवमयी राष्ट्रभाषा की,
पदवी जब मिल जाएगी।
विश्वगगन में हिंदी ऊँचा,

तमिल तेलुगू मलयालम हो,
भले मराठी गुजराती।
सब हिंदी की छोटी बहनें,
कोई नहीं खुराफाती।।
बड़ी बहन का साथ दिया तो,
शिखर नए छू पाएगी।
विश्व गगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी।।

चाहे जितनी भाषा सीखें,
हिंदी का सम्मान करें।
ममता सदा मातृभाषा ही,
दे सकती है ध्यान करें।।
अनंत पहुंची दूर तलक तो,
हिंदी यह रंग लाएगी।
विश्वगगन में हिंदी ऊँचा,
तब परचम लहराएगी।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
निवासी : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


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