Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

होती नही पुरानी कविता

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
********************

कड़वाहट जीवन की जीकर,
आंसू बन बहती है कविता।
पीड़ाएं पी पीकर अनगिन,
जख्म बड़े सहती है कविता।।
कितने गम के सैलाबों से,
टकराती रहती है कविता।
चेतनता की वाहक बनकर,
सत्य मगर कहती है कविता।।
दंश प्यार का पाकर देखा,
मजनू बनी दीवानी कविता।
कालजयी किरदार लिए पर,
होती नहीं पुरानी कविता।।

अंतर रोता तो कविता का,
शब्द-शब्द जीभर रोता है।
अर्थों में पीड़ा बहती तो,
सैलाबी मंजर होता है।।
घनीभूत पीडाओं से ही,
कोई सुध अपनी खोता है।
क्रांति हुआ करती है तब ही,
जब कोई आंसू बोता है।।
आहत अपमानों से होकर,
बनकर तनी भवानी कविता।
कालजयी किरदार लिए पर,
होती नहीं पुरानी कविता।।

भक्तिभवन में जाकर कविता,
गंगा जल बन जाती लोगों।
पार लगाती भव सागर से,
दुःखसे मुक्ति दिलाती लोगों।।
वात्सल्य में डुबा बदन को,
सूरज बन चमकाती लोगों।
फंसे भंवर में जो-जो तम के,
उन्हें किनारे लाती लोगों।।
बेशक वाणी देती जन-जन,
को जानी पहिचानी कविता।
कालजयी किरदार लिए पर,
होती नहीं पुरानी कविता।।

“अनंत” कविता कर्म दिलों में,
बीजों का है बोना भाई।
बीज अगर अच्छाई के हैं,
कई गुना होगी अच्छाई।।
समरसता की पुलियाओं ने,
ही तो मेटी है हर खाई।
काम बदलने का समाज को,
यूँ करती लोगों कविताई।।
परिवर्तन की वाहक है ये,
सागर है, सैलानी कविता।
कालजयी किरदार लिए पर,
होती नहीं पुरानी कविता।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *