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अलमारी में रखे पुराने खत

प्रीति जैन
इंदौर (मध्यप्रदेश)

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घिर आई तनहाई, मन को
मैं कुछ इस कदर बहलाई
अलमारी में रखे पुराने
खतों से नज़रें मेरी टकराई
याद आया गुज़रा ज़माना,
समेट लाया यादों का ख़ज़ाना
क्या दौर था मीठी यादों का,
सिलसिला खतों का आना जाना

सगाई के बाद पिया जी की
आती, प्रीत भरी पाती
हुई शर्म से लाल, मन की
हर कली कली खिल जाती
आज बांचन बैठी प्रीत भरे खत,
मन फिर गुलज़ार हुआ
रोम-रोम हो उठा रोमांचित,
खत ने दिल का तार छुआ

शादी के बाद पिता का
पहला खत, खत में आशीष बसा
मां बाबा के घर आंगन को भूल,
बेटी पिया का आंगन सजा
सास ससुर है मां बाबा तेरे,
बाबा ने खत में लिखा
दो ड्योढ़ीयों से बंधी, दो घर की
लाज मै, ये बाबा से सीखा

मां का खत पढ़ते ही,
मैं आंसुओं से सराबोर हुई
कलेजा निकाल रख दिया मां ने
खत में, मै हर अक्षर को छुई
मां के खत में हर अक्षर पर
थी आंसुओं की स्याही
कलेजे के टुकड़े को क्युं
होना पड़ता जुदा, कैसी रीत बनाई

प्यारे भाई बहनों का खत
पढ़कर ना रूकती मेरी रुलाई
संग गुजारे मस्ती भरे लम्हे,
करते प्रेम भी, थोड़ी लड़ाई
भाई लिखते जीजी राखी पर
आओ जल्दी, सुनी मेरी कलाई
बहना का कहना मन की सारी बातें
बांटना तुझसे, किसी से ना कह पाई

सखियों के खत याद दिलाते हैं,
वह मस्ती भरे हंसीं समां
खूब हुल्लड़, अठखेलियां, मस्ती से
घूमते थे हम यहां वहां
हुई अब वीरान महफिले, गलियां
सुनसान, मन ना लगे तेरे बिन
तनहा-तनहा रहती हूं, जुदाई सहती हूं,
कटते नहीं ये मेरे दिन

अलमारी में रखे पुराने
इन खतों में झलकता प्यार
जब भी होती मायूस मै,
ये खत ही यादों की पतवार
अमूल्य धरोहर सबके प्रेम की,
जतन से इन्हें सहेजती हूं
पुराने खतों को पढ़कर,
आज भी ताज़गी सी मै महकती हूं

परिचय :- प्रीति धीरज जैन
निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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