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बुढ़ापा

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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वह हाँपता-काँपता-खाँसता झुककर दोहरी झुकी कमर को तनिक सीधा करने का असफल प्रयत्न करता हुआ बुरी तरह से,छटपटा रहा था ।
अकस्मात मृत्यु ने प्रत्यक्ष होकर कहा, हमारा मिलन तो अटल ही था, फिर तू क्यों भयभीत हो रहा है? अगर तू सोचता हैं, झुककर मेरी नजरों से बच जायगा तो यह तेरा भ्रम है।
मैं तुझसे भयभीत नहीं हूँ मैं तो तेरा स्वागत करने को तैयार बैठा हूँ,
बुढ़ापे ने बिलखकर जवाब दिया।
मेरे झुकने का कारण भी तेरी,
नजरों से बचना नहीं बल्कि मेरी कमर तो झुक रही है, संसार से लिये हुए अपार कर्ज और भार से।
मुझे हर समय यह ध्यान रहता है कि संसार से जितना मैने लिया,
उसका एकांश भी चुका नहीं पाया।
इसलिए मेरी कमर कर्ज भार से, और गर्दन ग्लानि से झुकी रहती है। यह सुनकर मृत्यु ने भी अपनी गर्दन झुका ली….

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परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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