डॉ. रुचि गौतम पंत
फ़रीदाबाद, (हरियाणा)
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ये दूर तलक पसरे मोहल्ले,
ये हर चप्पे पे छायी खामोशी,
सब घरों में क़ैद ज़रूर हैं,
पर थमी नहीं है ज़िंदगी,
इसे मजबूरी मत समझना,
ये मजबूती है मेरे लोगों की,
यहाँ एक एक बच्चा
भी शेर सा पला है,
तेरा तो पता नहीं कोरोना
मेरा हिंदुस्तान जीतने वाला है।
यहाँ बजती है घंटियाँ,
सुबह शाम अज़ान भी है,
यहाँ हर घर में बसता है भगवान,
और हर इंसान को खुद पे ग़ुमान भी है,
तेरा पता ग़लत है कोरोना,
तू आया मेरे हिंदुस्तान में है।
यहाँ बाँधती हैं बहनें,
कलाइयों पे राखी,
हर कलाई सिर्फ़ प्यार से चुनी है
यहाँ धर्म कर्म की लड़ियों ने,
हम सबके के बीच एक तार बुनी है।
यहाँ अगर होली वाले हैं दिन,
तो मुबारक बक़रीद की शामें भी हैं,
यहाँ कोई कारण नहीं पूछता,
माहोल-ए-जश्न ज़रा आम सा है।
तेरा पता ग़लत है कोरोना,
तू आया मेरे हिंदुस्तान में है।
यूँ ही नहीं जीती ये जंग
हमने अभी तक, हर घर मैं
महक पकवान की है,
तू समझता है हमें हर देगा?
तेरी समझ हमारे इतिहास से
ज़रा अंजान सी है।
कुछ मार दिए होंगे बेज़ुबान तूने,
कुछ मौतें देख तू मुस्कुराता भी होगा,
पर हम भी असली शहीदी हैं,
ये नारा तो सबके ज़हन मैं आया ही होगा।
“देखना है ज़ोर कितना
बाज़ू-ए-क़ातिल मैं है”
तेरा पता ग़लत है कोरोना,
तू आया मेरे हिंदुस्तान में है।
मेरे दिए जलते रहेंगे,
हर सुबह मन्नतें माँगी जाएँगी,
मेरा दीन भले छोटा हो जाये,
भारत माँ का सिर नहीं झुकने देंगे।
आना है जिसको भी आए,
“अतिथि देवो भवः” हम ज़रूर कहेंगे,
पर ये मत भूलना कि आने बाद
तेरी इज़्ज़त हमारे हाथ में है।
तेरा पता ग़लत है कोरोना,
तू आया मेरे हिंदुस्तान में है।
आओ सब मिल कर क़सम खाएँ,
एक नया सवेरा उभारेंगे,
जहां जहां ज़रूरत होगी,
वहाँ वहाँ हाथ बढ़ा देंगे,
हम आसमाँ हैं,
जो कभी झुकता नहीं,
देखना कोरोना तेरा तोड़ भी,
भारतीय वैज्ञानिक ही निकालेंगे,
ऐसा जुलूस निकलेगा तेरा,
कि तू मुड़ के ना आने पायेगा,
तू कितनी कोशिश कर ले,
तेरा हर ज़ुल्म सिर्फ़ हमारा हौंसला बढ़ायेगा।
परिचय :- डॉ. रुचि गौतम पंत
जन्म तिथि : १०/०९/१९८३
पति : गौतम पंत
शिक्षा : पीएच. डी
स्थायी पता : ग्रेटर फ़रीदाबाद, हरियाणा
प्राप्त सम्मान : दो बार काव्य अंताक्षरी, एक बार काव्य अंताक्षरी, दो बार “स्टार राइटर ऑफ़ थे डे” सम्मान द्वारा इंद्रा पब्लिशिंग हाउस, तीन कविताएँ “साहित्य सुरभि” पुस्तक में जुलाई प्रकाशन हेतु चयनित- द्वारा नर्मदा प्रकाशन, तीन कविताएँ “काव्य कुसुम” पुस्तक में अगस्त प्रकाशन हेतु चयनित- द्वारा नर्मदा प्रकाशन
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।
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