Sunday, September 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अधिकारी दामाद

अंजना झा
फरीदाबाद हरियाणा

********************

प्रिया बैठक में गुमसुम बैठी थी, उसे पता नहीं चल रहा था – रंजन से कैसे जिक्र करे माँ के आने का। क्या शादी के समय हुई घटनाओं को भूलकर सहजता से व्यवहार कर पायेगा रंजन माँ के साथ। माँ की सोच भी तो कुछ गलत नहीं थीं अपनी बेटी के लिए अपने सामाजिक स्तर का ही दामाद चाहतीं थीं। सरकारी अफसर की बेटी का हाथ अपने भविष्य निर्माण में लगे निजी संस्था के कर्मचारी के हाथ में कैसे दे देतीं। अब ये अलग बात थी कि रंजन की पारिवारिक स्थिति से प्रभावित होकर दोनों के दिल में प्यार के बीज माँ ने ही डाले थे।
प्रिया के पापा रंजन के ही घर की गली में आलीशान मकान खरीदे और पूरे परिवार को स्थायी रूप से रखकर अपने कार्य स्थल पर चले गए। रंजन के पापा भी उच्च पदासीन पदाधिकारी,बड़े भाई शहर के नामी चिकित्सक। उनका मकान भी कुछ कम आलीशान नहीं था। उसमें सोने पर सुहागा ये कि जात बिरादरी भी अपनी ही। अच्छे पडो़सी बन गए दोनों परिवार।
जैसे ही पता चला रंजन का सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का है, बांछे खिल गयीं माँ की। एक सिक्का देकर रंजन और प्रिया के सामने ही रिश्ता मांग लिया उन्होंने रंजन की माँ से।
अब तो यौवन की दहलीज पर कदम रखे रंजन के दिल में प्यार के कोंपल फूटने लगे प्रिया के लिए। इधर तरूणाई को पार करती प्रिया भी रंजन के संग भविष्य के सपने सजाने लगी। लुकाछिपी से इक दूजे को देखने से शुरू हुआ सिलसिला आगे बढते-बढते महिला महाविद्यालय के गेट तक छोड़ने और लाने पर पहुँच गया। घरवालों को आपत्ति भी नहीं थी इसलिए बेहिचक मिलने लगे प्रेमी युगल परिवार के मर्यादित सीमा में।
इधर प्रिया का स्नातक का परिणाम आ गया। पर ये क्या–रंजन के प्रतियोगिता परीक्षा में चुनाव न हो पाने की खबर सुनते ही मां के भाव बदल गए। वो प्रिया के लिए एक सरकारी अधिकारी ढूंढने लगीं। प्रिया पर पाबंदी लग गयी रंजन से न मिलने की। अब रंजन तो अपनी असफलता से निराश था ही प्रिया के न मिलने से और अधिक आहत हो गया।
कुछ दिनों के उहापोह के बाद प्रिया विद्रोही स्वर के साथ रंजन से शादी करने का निर्णय सुना दी, माँ भी अपने तर्क से समझाने लगीं –उस घर में तेरा क्या सम्मान होगा प्रिया। माँ ने गुस्सा, बेरूखी और प्यार सभी अस्त्र अपनाया लेकिन प्रिया अपने फैसले पर अडिग रही।
आखिर प्रिया की जिद्द के आगे झुक तो गयीं माँ। पर बहुत ही बेमन से शादी के कार्यक्रम को संपन्न कीं । उनकी बेरूखी को रंजन के संग उसके परिवार वाले भी महसूस कर रहे थे। आज एक साल में एक बार भी अपने घर नहीं बुलायीं बेटी दामाद को।
अब ये प्रिया का भाग्य और समर्पण था या रंजन का लगन और जिद्द– आज रंजन के प्रशासनिक अधिकारी के पद पर चयनित होने का परिणाम आया । और बस इसी खुशी में प्रिया की माँ सपरिवार आ रही हैं प्रतिष्ठित दामाद को मुबारकबाद देने।
तभी रंजन कमरे में दाखिल होते हुए बोला -किस सोच में डूबी हो -मेरी प्रिया चलो बाजार से बहुत कुछ लाना है। आखिर हमारी संपन्न सासू माँ आ रही हैं।अब उसी संपन्नता से आवभगत भी तो करनी है न अपनी सासू माँ की।
प्रिया के चेहरे को बडे़ प्यार से उपर करते हुए रंजन ने कहा -शायद उनकी नाराजगी पूर्ण आशीष का ही तो परिणाम है कि मैं आज उनके पूर्व निर्धारित मापदंड के अनुरूप बन पाया। और फिर खिलखिलाते हुए रंजन ने बताया -सासू माँ का फोन आया था प्रिया – वो मुझे कह रही थीं रंजन मुझे पता था तुम सरकारी अधिकारी जरूर बनोगे।
हतप्रभ थी प्रिया, वाकई ये एक माँ की बेचैन आत्मा की पुकार थी या उसका भाग्य या रंजन की मेहनत। पर जो भी था आज प्रिया को अपने फैसले
पर गर्व हो रहा है। और उसका अज्ञात भय आंसू बनकर रंजन के हाथों को सराबोर करते हुए धरा को सिंचित कर रहा है। और फिर प्रिया भी चहकती हुई बोल उठी – मिल गया माँ को अधिकारी दामाद।

.

परिचय :-  नाम : अंजना झा
माता : श्रीमती फूल झा
पिता : डाक्टर बद्री नारायण झा
जन्म तिथि : ६ अगस्त १९६९
जन्म स्थान : पटना
अंजना झा मूलतः बिहार की निवासी हैं। आपने मनोविज्ञान में एम.ए. किया है। पूर्व में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका रही हैं। आप कुछ समय आनलाइन पत्रिका साहित्य लाइव में संपादिका पद पर भी रह चुकी हैं। आपकी रुचि लघुकथा और काव्य लेखन में है। आपकी रचनाएँ पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *