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जग के पालन हार

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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सजल- मात्रा- २२

जग के पालन हार धरा पर आये हैं ।
सांवरिया सरकार धरा पर आये हैं ।।

द्वापर में था दुष्टों का आतंक बड़ा ।
यमपुर उन्हे पठाने को वे आये हैं ।।

भव के सारे बंधन को जो हरते हैं ।
आज वही कारागृह में खुद आये हैं ।।

भक्तों के भगवान् देवकी के लाला ।
मानव तन धर लीला अजब दिखाये हैं ।।

बाल लीला दिखलाये जाकर के ब्रज में ।
नंद यशोदा के कान्हा कहलाये हैं ।।

ग्वाल बाल संग खेले यमुना के तट में ।
बैठ कदंब तरू मुरली मधुर बजाये हैं ।।

माखन खूब चुराये ग्वालों के संग में ।
गोकुल के गलियों में उधम मचाये हैं ।।

संग सखाओं के जाते गइया लेकर ।
वृंदावन में मोहन गऊ चराये हैं ।।

चीर हरण कर दुनिया को वे सीख दिये ।
सखियों के संग में वे रास रचाये हैं ।।

दुष्ट अनेकों का उनने संहार किया ।
भक्तों को भव पार लगाने आये हैं ।।

लीला है मेरे प्यारे मनमोहन की ।
राम सभी को राह दिखाने आये हैं ।।

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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