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ऐ मौत अभी तू वापस जा

निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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ऐ मौत अभी तू वापस जा बीमार की हसरत बाक़ी है।
बस देख लूँ उनको फिर आना दीदार की हसरत बाक़ी है।।

ग़म जिसने दिए इतने मुझको खुशहाल वो कैसे रहते हैं।
आया न समझ में इतनी बस ग़मख़्वार की हसरत बाक़ी है।।

साक़ी ने पिलाई जी भर के बोतल न बची मयख़ाने में।
फिर भी है शिकायत पीने की मयख़्वार की हसरत बाक़ी है।।

अपनों की मोहब्बत से यारों ग़ैरों कि ये नफ़रत अच्छी है।
पीकर भी न भूले हम जिसको उस यार की हसरत बाक़ी है।।

समझा न किसी ने ग़म मेरा जी भरके निज़ाम अब पीता हूँ।
मैं एक शराबी शायर हूँ बस प्यार की हसरत बाक़ी है।।

परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी
निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं


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