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जाँ की हिफाजत नहीं है

निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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ग़ज़ल नक्ल हो अच्छी आदत नहीं है।
कहे खुद की सब में ये ताकत नहीं है।।

है आसान इतना नहीं शेर कहना।
हुनर है क़लम का सियासत नहीं है।।

नहीं छपते दीवान ग़ज़लें चुराकर।
अगर पास खुद की लियाक़त नहीं है।।

हिलाता है दरबार में दुम जो यारों।
कहे सच ये उसमें सदाक़त नहीं है।।

जो डरता नहीं है सुख़नवर वही है।
सही बात कहना बगावत नहीं है।।

सभी खुश रहें बस यही चाहता हूँ।
हमारी किसी से अदावत नहीं है।।

दबाया है झूठों ने सच इस कदर से।
कि सच भी ये सचमें सलामत नहीं है।।

दरिंदे भी अब रहनुमा बन रहे हैं।
ये अच्छे दिनों की अलामत नहीं है।।

निज़ाम आज बिगड़ा है ऐसा जहाँ मे।
किसी की भी जाँ की हिफाजत नहीं है।।

परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी
निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं


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