विकाश बैनीवाल
मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
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तुझसे सुबह शाम मिलूँ, जरूरी तो नहीं,
तेरे नाम पे गजलें कहूँ, जरूरी तो नहीं।
बेशक बेइंतहा है प्यार, तुझसे जानेमन,
मैं इसका दिखावा करूँ, जरूरी तो नहीं।
जीना पड़ता है, परिवार-समाज देखकर,
बस प्यार ही सर पर धरूँ, जरूरी तो नहीं।
जग से छुपा हुआ, पवित्र रिश्ता है अपना,
इस बात का हल्ला करूँ, जरूरी तो नहीं।
एक बार कह दिया, अनूठा प्रेम है हमारा,
जानू-जानू कहता फिरूँ, जरूरी तो नहीं।
हमारी बातें तो हो जाती है, चिट्ठियों में,
तेरी गली में आता रहूँ, जरूरी तो नहीं।
दिल से याद करता है तुझे ये “विकाश”
बस हिचकियों में ही रहूँ, जरूरी तो नहीं।
परिचय :- विकाश बैनीवाल
पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल
निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान)
शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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