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नवरात्र पर नौ मुक्तकों की माला

प्रवीण त्रिपाठी
नोएडा

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शैल पुत्री की कृपा संसार को अब चाहिये।
मातु ममता से भरा सर हाथ अपने चाहिये।
हम करें आराधना पूजा चरण में मन लगा।
अब दया वरदान अंबे मातु से बस चाहिये।1

ब्रह्मचारिणि तव कृपा का दान सबको दीजिये।
सर्वजन के सर्वदुख भवताप भी हर लीजिये।
आप सम अतुलित तपस्या कामना पूरी करे।
मानवी संताप का अब नाश जग से कीजिये।2

चंद्रघंटा विश्व की विपदा सकल हरदम हरें।
तव अलौकिक रूप लख कर भाव नव दिल में भरें।
दिव्यता अनुपम तुम्हारी इक नयी अनुभूति दे।
दानवी हर कृत्य का माता शमन प्रतिपल करें।।3

मातु कूष्मांडा हमेशा झोलियाँ भरती रहें।
भक्त संकट में पड़े उद्धार टाब करती रहें।
सूर्य सम है कांति जिससे जगत में आलोक हो।
नौ दिनों माता तुम्हारी चौकियाँ सजती रहें।।4

पूजते स्कंद माता को सदा कर जोड़ कर।
जाप नौ दिन भक्त करते कार्य पीछे छोड़ कर।
पूर्ण करती कामना जो भक्त निज मन में रखें।
हर विपद में साथ देतीं मुख न जाती मोड़ कर।।5

कात्यायनि अधिष्ठात्री विगत से बृज धाम की।
गोपियाँ तुमको भजें जो चाह रखतीं श्याम की।
तात को उपकृत किया था जन्म लेकर आपने।
नित्य बरसायें कृपा माला जपें यदि नाम की।।6

कालरात्रि दिखें भयंकर पर हृदय ममता भरी।
श्यामलांगी मातु की हर स्वाँस में ज्वाला भरी।
शत्रु डर कर दूर भागें मात्र सुनकर नाम ही।
भक्त को शुभ फल मिले कृपा से झोली भरी।।7

हे महागौरी सभी के कष्ट हरतीं आप हैं।
आपकी आराधना से सर्व मिटते पाप हैं।
घोर तप से पा लिया था आपने शिवशंभु को।
है भरी करुणा हृदय में काटती संताप हैं।।8

सिद्धिदात्री दिल में ज्ञान यह भर दीजिये।
मोह माया सँग कलुषता आप अब हर लीजिये।
कर्म सुचिता के करें परिवार की रक्षा करें।
धर्म पालन नित करें आज यह वर दीजिये।।9

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परिचय : प्रवीण त्रिपाठी नोएडा


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