अमिता मराठे
इंदौर (म.प्र.)
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दिन रात बढ़ते संक्रमण पर काबू पाते और मरीजों की सेवा करते डाॅक्टर नीना निढाल हो टेबल पर गर्दन रखते ही नींद के साथ अतीत के आगोश में चली गई थी। अरे! सुन, बेटीके लिए इतना अच्छा घर मिला है। देर सबेर नीना के हाथ पीले करने ही है। लेकिन पता नहीं उसके दिमाग में कोई कालेज का लड़का छाया हुआ है। जाति भी कुछ अलग है। साफ मना करती है शादी के लिए। देख शिबू नीना की सहेली कह रही थी। लड़के ने अपने परिवार की पसंद की लड़की से शादी भी कर ली है।एक साल होने आया है।
फिर भी तेरी बिटिया मानती नहीं। प्रेम में पूरी दिवानी हो गई है। ध्यान रखना शिबू प्यार से समझाना नहीं तो उल्टा गलत काम कर लेगी तो समाज में नाक कट जायेगी।
माँ आप इतनी चिन्ता मत करो। मुझे समाज की चिंता नहीं बेटी के भविष्य की चिंता है। पढ़ी लिखी जवान लड़की उसे बहुत सारे बड़े काम करने हैं यह कौन समझाए। मां आज नीना की बड़ी मौसी आ रही है। वो नीना को बहुत स्नेह से समझा देगी।
शिबू के जेहन में जद्दोजहद जारी थी। शादी शुदा लड़के के पीछे पड़ी बेटी को बचाना है। मौसी ने आते ही शिबू से सारी जानकारी ले ली, फिर धीरे से नीना को कहा मैं उस लड़के से मिलना चाहूंगी।
नीना खुश हो गई थी। लड़की सुन्दर सजाती व तीन माह का गर्भ धारण किए थी। लड़के के परिवार वाले नीना की शिकायत करते गुस्सा हो रहे थे।
अब मौसी ने नीना के सिर पर हाथ रखते हुए, लड़के से कहा, बेटा हमारी बिटिया को फोन लगाये बार-बार मिलकर तंग क्यों करते हो? अपनी दुनिया तो बसा ली अब इसकी जिन्दगी को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
नीना की ओर मुखातिब होकर मौसी बोली भगवान जो कुछ करता है हमारे भलाई के लिए करता है। ये घर, ये परिवार, ये लड़का तेरे लायक़ नहीं है। तुझे तो बहुत ऊंचे-ऊंचे काम करने हैं। एक दिन अनेकों के कल्याण करते देश के शीर्ष स्थान पर खड़ी रहेगी। अब वो बाप भी बन रहा है। उसके बारे में सोचना सही नहीं है।
नीना बीफरते बोली मैं भी बच्चे पैदा कर सकती हूं। ये धोखेबाज हैं। मुझसे मीठी बातें करता रहा और खुद मौज कर रहा हैं।
नीना की मानसिकता को समझकर मौसी ने कहा नीना ये घर तेरे काम का नहीं। बस उठो नया रास्ता अपनाने में कल्याण हैं। इससे भी योग्य घर में तुम्हारा नाम होगा समझो।
घर आने के बाद नीना बैचेन थी। मौसी ने शिबू से कहा अच्छा घर होगा तो बात पक्की कर नीना को ससुराल भेज देना चाहिए। हम मध्यम वर्गीय लोग हैं। हमारे समाज में लड़कियों की शादी जल्दी करने का रिवाज है।
मौन बैठी नीना सब सुन रही थी। अपना निर्णय सुनाने लगी, देख मौसी, पापा, दादी मैंने सबसे किनारा कर लिया है। मेरी मेडिकल की पढ़ाई के दो साल शेष है उसे पूरी कर अपना क्लिनिक खोल दूंगी। जिससे पापा को भी आराम मिलेगा। घर की आर्थिक स्थिति भी सुधर जायेगी। मुझे कोई लड़का देखना नहीं। मैं गंभीर हूं अब ऐसे मामले में, कहते नीना छटपट उठकर नये जोश से नये कार्य में जुट गई।
मौसी ने नीना के संकल्पों का स्वागत किया, सच शादी के बाद अपने अरमानों के लिए किसी का मुंह नहीं देखना पड़ेगा। डाॅक्टर होते ही नीना बेटी का भाग्य चमकेगा, सार्थक जीवन का आनन्द लेगी।
डाॅक्टर! आवाज सुनते ही नीना छटपट अतीत की सीढ़ियों से नीचे उतर आई। सामने का नज़ारा देखते ही अभिभूत हो गई। वार्ड के सभी कोविड १९ के मरीजों को छुट्टी मिल रही थी उनके प्रसन्न चेहरे और हाथ में फूलों की माला नीना की सफलता की श्रेष्ठ सौगात थी। आज पूरे तीन महिनें से मरीजों की देखभाल में व्यस्त थी। कोई चरण स्पर्श कर रहा था तो कोई हाथ जोड़ कर मुस्करा रहे थे। नीना मन ही मन प्रभु को धन्यवाद दे रही थी। परिस्थिति में सहारा देने वाली मौसी की सपने में हुई याद पर बहुत खुश थी।
परिचय :- ८ अगस्त १९४७ को जन्मी इंदौर निवासी श्रीमती अमिता अनिल मराठे को लिखने का शौक है आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। नई दिशा एवं जीवन मूल्यो के प्रेरक प्रसंग नाम से आपकी दो किताबे भी प्रकाशित हुई है।
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