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नया साल नया दौर

रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)

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जीवन के रंग मे खुशियों के संग मे,
सुबह की लाली, घटा शाम की तन्हाई मे,

हरे-भरे पेड़ों पर, चिड़िया चहकती रहें,
खेत-खलिहानों में, फसल लहलहाती रहे,

नयी रोशनी में, नये जीवन की शुरुआत हो,
सबको जीने की नई दिशा, नयी राह मिले।

गाँव मे खुशियों की, नयी सौगात हो ,
सबको अपनी अभिव्यक्तियों का नया संसार मिले।

मन मस्तिक मे नव दुनिया की स्वागत की आशायें हो,
जीवन मे नये उद्देश्यों की लौ जले,

प्रेम की ज्योति जले खुशबुओं की महक उठे,
विज्ञान, तकनीकी, साहित्य की ज्वाला और जले,

दुनिया में कला, नृत्य, लोक नृत्य का विकास हो,
सभ्यता और संस्कृति का नया आयाम मिले,

दुनियाँ में सभी का सभी से भाईचारे का संबंध हो,
ना झगड़ा ना झंझट, न हाथापाई का वास हो,

राहों-राहों मे दिल और प्यार का मिलन हो,
जाति धर्म को मिटाकर सबकी धड़कनो की आवाज़ बनों,

ऐसी हो नये साल की शुरुआत ऐसा नया साल हो,
नये साल मे नया दौर की जज्बात हो!

परिचय :- रूपेश कुमार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास – चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव – राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक – मेरी कलम रो रही है
सम्मान : कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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