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नई मिसाल

डॉ. प्रणव देवेन्द्र श्रोत्रिय
इंदौर, (मध्यप्रदेश)
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गगनचुंबी इमारतों की भीड़ में,
आक्सीजन के अभाव में,
लम्बे-लम्बे कतारबद्ध
पेड़-पौधों से युक्त
हरियाली वाला शहर
विकास की राह में
जाने कहाँ खो गया?
भरी दोपहरी में एक ठंडी
छाँह ढूंढ़ रहा युवक
आज साँसे मांग रहा हैं,
नन्ही चिरैया, तोता,कबूतर
अपना ठिकाना ढूँढ़ रहे है,
हे ! अट्टालिका वीरों
दो इंसानियत की नई मिसाल,
झगझोरों अपने नवस्वप्न को
करो नवसंकल्प
पहले हरे वृक्ष, खुली हवा,
शुद्ध आक्सीजन मिले सभी को
फिर हो शहर का विकास।

परिचय :- डॉ. प्रणव देवेन्द्र श्रोत्रिय
शिक्षा : पीएच.डी, एम.ए हिन्दी साहित्य, बी.जे.एम.सी, आयुर्वेद रत्न।
निवासी : इंदौर, (मध्यप्रदेश)
रुचि : लेखन,पठन,पर्यटन
प्रकाशन : विभिन्न पत्र, पत्रिकाओं में नियमित बाल कहानी, लघुकथा, कविता का प्रकाशन।
सम्प्रति : निजी महाविद्यालय में हिन्दी भाषा में सहा.प्राध्यापक।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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