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नया ठिकाना

आज सुबह से बच्चे के जोर-जोर से रोने की आवाज से मीरा बहुत बेचैन थी आखिर बाहर आकर देखा। नए मकान के चौकीदार की झोपड़ी के बाहर टूटी खटिया पर उसका ९ वर्षीय बेटा गब्बू बिलख-बिलख कर रो रहा था।
क्यों गब्बू इतनी जोर-जोर से क्यों रो रहे हो? कब से रोए जा रहे हो, क्या हुआ? गब्बू और जोर से क्रंदन करने लगा। उसके माता-पिता अपना बोरिया-बिस्तर बांधने में भिड़े हुए थे। माँ बोली- “का करे मैडमजी इहा अब मजूरी नाही सो गाँव जा रहे हैं। ई गब्बू कहत है इस्कूल जावेगा, गाँव मे पड़ई छूट जावेगी देख लेव कईसा रो रवा है। मीरा बोली – “तो मत जाओ ना! कुछ समय की बात है सब ठीक हो जायेगा।
इतने में पिता झुंझलाया- “पेट की आग नाही रुक सके है बेनजी। मीरा बोली- “पर बच्चा कब से रो रहा है मुझे घबराहट होने लगी तुम पिता होकर…..इत्ताई घबराट है तो रख लेव इका। पढ़ाया करियो। मूक होकर मीरा घर मे चली गई। पेपर पढ़ रहे पति को दुखी होकर सब बात बताई, बोहोत उद्विग्न हुई पर वो चुप-चाप सुनते रहे। उधर गब्बू का क्रंदन आर्तनाद तक पहुँच गया। मीरा की बेचैनी चरम पर थी फिर बाहर जाकर देखा। दोनों पति-पत्नी बड़ी गठरी सर पर रखकर, गब्बू को लगभग घसीटते हुए चले जा रहे थे। वो जैसे विलाप कर रहा था। मीरा से यह करुण दृश्य नहीं देखा गया। जोर से आवाज लगाई घीसाराम….रुको बच्चा मर जायेगा, मुझे दे दो इसे! तुरन्त उसे घर मे ले जाकर ठंडा पानी पिलाया, कूलर के सामने बिठा दिया। बोली- “रो मत लॉक डाउन के बाद मैं तुम्हे रोज अपने साथ स्कूल ले जाऊँगी। पति कि तरफ आस भरी भीगी आँखों से देखा। कुछ कहती उसके पहले पति देव मुस्कुराते हुए बोले- “अब तुमने रख लिया है ना! तो जो होगा देखा जाएगा। मीरा के पति ने बाहर खड़े चौकीदार से कहा- “सुनो घीसाराम मेरे ऑफिस की बिल्डिंग का चौकीदार भी गाँव चला गया है….कल से तुम्हे वहाँ काम दिलवा देता हूँ…अब तीनों खुश थे नए ठिकाने को पा कर।

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परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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