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नया

शरद सिंह “शरद”
लखनऊ

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हर सुबहा हर दिन नया होता है,
नयी किरन नया सूर्य होता है,
फूलो की सुगन्ध नयी और,
पक्षियों का कलरव नया होता है,
नयी धरती नया अम्बर,
मौसम भी नया होता है,
कही वीरानियां कही महफिल,
कही उदासी फिर भी जश्न होता है,
पर मेरी उदासी  हो या महफिल,
मेरे संग मेरा कान्हा होता है।

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लेखक परिचय :- बरेली के साधारण परिवार मे जन्मी शरद सिंह के पिता पेशे से डाॅक्टर थे आपने व्यक्तिगत रूप से एम.ए.की डिग्री हासिल की आपकी बचपन से साहित्य मे रुचि रही व बाल्यावस्था में ही कलम चलने लगी थी। प्रतिष्ठा फिल्म्स एन्ड मीडिया ने “मेरी स्मृतियां” नामक आपकी एक पुस्तक प्रकाशित की है। आप वर्तमान में लखनऊ में निवास करती है।


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