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खो न जाँऊ कही

संजय जैन
मुंबई

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खो न जाँऊ कही,
अपने के बीच से।
इसलिए लिखता हूँ,
गीत कविता आपके लिए।
ताकि बना रहे संवाद,
हमारा आप के साथ।
और मिलता रहे सदा,
आप सभी का आशीर्वाद।।

दिल में जो आता है,
मैं वो लिख देता हूँ।
अपनी भावनाओं को,
आपके सामने रखता हूँ।
कुछ को पसंद आती है,
कुछ का विरोध सहता हूँ।
पर अपनी लेखनी को,
मैं निरंतर रखता हूँ।।

शिकायते है कुछ लोगों की,
तुम विषय पर नहीं लिखते हो।
कृपा विषय पर लिखे,
और ग्रुप में प्रेषित करें।
पर बनावटी विचारों को,
मैं नहीं लिख पाता हूँ।
और उनकी आलोचनाओ का,
शिकार हो जाता हूँ।।

उम्र बीत जाती है,
अपनी छवि बनाने में।
यदि कदम डगमगा जाए,
तो रूठ अपने जाते है।
इसलिए मन की सुनकर,
मैं गीत कविताएं लिखता हूँ।
तभी तो यहां तक,
आज पहुंच पाया हूँ।।

 

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
उद्घोषणा : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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