
भीमराव झरबड़े ‘जीवन’
बैतूल (मध्य प्रदेश)
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स्वच्छ चंचल नत नदी के, नीर जैसी जिंदगी।
मुक्त नम मारुत सरीखी, हीर जैसी जिंदगी।।१पंछियों सी चहचहाती,नीड़ नभ तरु के शिखर,
चुलबुली बन पर पसारे,चीर जैसी जिंदगी।।२स्वाद के नौ रस समेटे, इस प्रकृति के थाल में,
चटपटी नमकीन खारी, खीर जैसी जिंदगी।।३दासताओं की सुदृढ़, दीवार मटियामेट कर,
व्योम छूने को खड़ी, प्राचीर जैसी जिंदगी।।४लहलहाते खेत जो, मरु सींचते है स्वेद से,
मौसमी संताप सहती, धीर जैसी जिंदगी।।५सज तिरंगे में विहँसती, सरहदों पर देश के,
मातृ भू पर यह खनकती, वीर जैसी जिंदगी।।६रातरानी सी गमकती, बाँटती खुश्बू फिरे,
कामना से मुक्त यह तस्वीर जैसी जिंदगी।।७
निवासी : बैतूल मध्य प्रदेश
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