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नेह का निमंत्रण

ओम प्रकाश त्रिपाठी
महराजगंज (उत्तर प्रदेश)
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नेह का निमंत्रण मीत, तुझको हूं भेज रहा
आज अपनी गरिमा को, अब तो पहचानो।
कोसते हो जिनको कि, तूने कुछ नहीं दिया
आज उस ब्रह्म का, आभार तुम मानो ।।

विश्व पर विपत्ति आज, कैसे पड़ी हैआन
भान कर इसका तू घर नहीं त्यागो।
मान बात घरनी की, जाओ न विदेश अब
जीवन है अमूल्य सिर्फ, पैसे पे न भागो ।।

क्रूर कोरोना काल, आगे है बढ रहा
राह इसका छोड़ अब नयी राह गढ लो।
सह नहीं जायेगा, बिछोह तेरा मीत मेरे
परिजन के संग, अब प्रीति करना सीख लो।।

रीति जो है प्रीति की ,तू छोड़ेगा कभी न मीत
विश्वास को हमारे, ठेस न लगायेगा।
कुछ ही दिनों की बात, मान एक पाती लिखो
संकट का काल मीत, स्वयं कट जायेगा।।

परिचय :– ओम प्रकाश त्रिपाठी
निवासी : शिकारगढ जनपद-महराजगंज (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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