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प्रकृति का कहर

संजय कुमार साहू
जिला बालोद (छत्तीसगढ़)

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देख प्रकृति का कहर..
देख प्रकृति का कहर ..

फल दिया और फूल दिया,
१० पीढ़ी तक कुल दिया,
इस अराजकता के दौर में,
तुझको प्रभुत्व सम्पूर्ण दिया।।
पर तेरा जी न भरा मानव,
करता खिलवाड़ प्रकृति के साथ।।
तूने क्या सोच के किया था,
प्रकृति का नीरव दोहन,
देख तेरे इस भूल का फल
भोग रहा जग आज है,
प्रकृति का बदला लेने आया
आज यमराज है।।
जीवों की हत्या कर तूने
प्रकृति को किया कुरूप,
देख आज कोरोना आया
प्रकृति प्रतिघात स्वरूप,
आज पर्यावरण दिवस पर
मान ले अब तू मेरी बात,
कर प्रकृति का सम्मान,
जंगल को न कर वीरान,
जीवों की रक्षा तू कर,
पेड़ लगा बढ़ा प्रकृति का मान,
वरना कोई नहीं बचा पाएगा तुझे,
प्रकृति का कहर है आज।
देख प्रकृति का कहर …
देख प्रकृति का कहर..।।

आज गर्मी के दिनों में
सुबह चलती भाप है,
शाम को पानी गिराकर
देती प्रकृति श्राप है,
बरसात में पानी को तरसते,
गर्मी में नौ फीट तक बरसते,
प्रकृति के सब जाल है,
गर अब तक न तू समझा मानव,
तेरा काल अकाल है।।
देख प्रकृति का कहर…
देख प्रकृति का कहर..।।

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परिचय :- संजय कुमार साहू
निवासी : जिला बालोद छत्तीसगढ़


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