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प्रकृति और मानव

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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प्रकृति मानव जीवन का आधार,
इस पर निर्भर हैं संसार।
मन मोहक आकृति,
मानव की प्रकृति,
इससे उपजी ढेरों फसलें,
मिलता असीम उर्जा का संचार,
कितने हम पर है उपकार।
प्रकृति मानव जीवन का आधार।
प्रकृति मानव का घनिष्ठ संबंध,
देती हमको आसरा,
भूखों को तारती,
कपड़ों को संवारती,
शीतल पावन सौन्दर्य की प्रकृति,
थक कर कभी न हारती।
है आज जीवित हम अगर,
जीवित नहीं हो कृतज्ञता,
आनंद लेते हैं सभी जन,
जननी की कोई न सोचता।
चलो चले प्रकृति रक्षक का,
जय जय कार करें,
हम इसका सतकार करें।

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परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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