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प्रकृति

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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प्रकृति की भी
अजब माया है
निःस्वार्थ बाँटती है
भेद नहीं करती है,
बस कभी-कभी
हमारी उदंडता पर
क्रोधित हो जाती है।
हर जीव जंतु
पशु पक्षी के लिए
खाने, रहने और
उसकी जरूरतों का
हरदम ख्याल रखती है,
बिना किसी भेदभाव के
यथा समय सब
कुछ तो देती है,
हमें प्रेरित भी करती
सीख भी देती है,
कितना कुछ करती है,
क्या क्या सहती है
परंतु आज्ञाकारी प्रकृति
हमें देती ही जाती है,
हम ही नासमझ बने रहें
तो प्रकृति की
क्या गलती है?
अपनी गोद से वो हमें
कब अलग-थलग करती है?
हाँ हमारी नादानियों,
उदंडताओं पर खीछती,
अकुलाती, परेशान होती है,
हमें बार-बार संकेत कर
चेताती, समझाने की
कोशिश करती,
थक हारकर अपने क्रोध का
इजहार करने को
विवश हो जाती,
फिर भी हम समझने को
तैयार जब नहीं होते,
तब वो भी बस!
अपना संतुलन
बनाए रखने के लिए
हमें सजा देने के
लिए आखिरकार
विवश हो जाती है,
हमें दण्ड देती है
फिर भी हमारी
बड़ी गलतियों की
छोटी ही सजा देती है,
खुद भी पछताती,
आँसू बहाती है।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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